अगर कल धरती से मिट जाए इंसान का नामोनिशान, फिर क्या होगा? वैज्ञानिक खोज रहे उपाय

If tomorrow the trace of humans disappears from the earth, then what will happen? Scientists are looking for solutions
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Hakuto-R Mission 2: क्या आपने कभी सोचा है कि यदि कल पृथ्वी पर मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो गया तो दुनिया भर में मौजूद भाषाओं का क्या होगा? आप सही अनुमान लगा रहे हैं. हमारी भाषाएं और उनके सांस्कृतिक मूल्य भी इस ग्रह से या तो खत्म हो जाएंगे या मिटा दिए जाएंगे. लेकिन दूसरे ग्रह का क्या होगा? इसके बारे में आपने कभी सोचा है? क्या ये संभव है कि हम अपने भाषाई खजाने को अंतरिक्ष में कहीं और संरक्षित कर सकें. रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) पृथ्वी पर मौजूद भाषाओं को संरक्षण करने के लिए एक जापानी लूनर एक्सप्लोरेशन कंपनी के साथ काम कर रहा है.

Space.com के अनुसार, जापानी लूनर एक्सप्लोरेशन कंपनी ispace अंतरिक्ष और चंद्रमा पर मानव की मौजूदगी स्थापित करने के लिए काम कर रही है. यूनेस्को की मदद से कंपनी पृथ्वी पर मौजूद 275 भाषाएं और अन्य सांस्कृतिक कलाकृतियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से चांद की सतह पर भेजने की योजना बना रही है.

क्या है हकुतो-आर मिशन 2?

रिपोर्ट के मुताबिक, हकुतो-आर मिशन 2 चांद की सतह पर एक रोबोटिक लैंडर भेजेगा. यह लैंडर पृथ्वी के उपग्रह को एक मेमोरी डिस्क भी पहुंचाएगा जो हमारे पृथ्वी पर मानवता के अस्तित्व के खत्म होने की स्थिति में मानवीय अस्तित्व को जीवित रखने का प्रयास करेगी. ispace ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी करते हुए कहा है, यूनेस्को उन भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो मानवीय संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करती है. चांद की सतह पर मानवीय अस्तित्व का संरक्षण मकसद मानवीय संस्कृतियों को संरक्षित करना है.”

बयान में आगे कहा गया है,”इस मिशन को पूरा करने के लिए मेमोरी डिस्क में यूनेस्को संविधान की प्रस्तावना भी शामिल होगी. यह संविधान विश्व एकता, भाषाई विविधता और संस्कृतियों के संरक्षण के महत्व को व्यक्त करती है. इस प्रस्तावना का 275 भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा.” हकुतो-आर मिशन 2 को 2024 में ही चंद्रमा पर भेजे जाने की उम्मीद है.