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What Is Benching: जमाना काफी तेजी से बदल रहा है, ऐसे में हमारे पर्सनल रिलेशनशिप में भी काफी चेंजेज देखने को मिल रहे है. रिश्ते में कई नए टर्म ईजाद हो रहे हैं, जैसे सिचुएशनशिप, ऑरबिटिंग, कफिंग वगैरह. ऐसे ही एक टर्म की चर्चा आजकल काफी हो रही है जिसे ‘बेंचिंग’ का नाम दिया जा रहा है. किसी भी रिश्ते में जाने से पहले जान लें कि ‘बेंचिंग’ आखिर क्या है? और जिसे आप पसंद कर रहे हैं वो तो आपको इस कैटेगरी में नहीं रख रहा.
क्या है ‘बेंचिंग’ का मतलब?
सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर (Lovelyy Sharma) का एक वीडियो आजकल काफी वायरल हो रहा है जिसमें वो कह रही हैं, “मैंने तो अभी सुना है कि ‘बेंचिंग’ नाम की चीज होने लग गई है. लड़का हो या लड़की हो, वो एक के साथ कमिटेड होता है और एक को वो बैकअप में रखता है. वो होता है न कि मेरा बेस्ट फ्रेंड तैयार है, अगर तुम जाओगे तो वो आएगा. यानी लोगों को बेंच पर बैठा रखा है.”
बेंचिंग के नुकसान
बेंचिंग में आमतौर पर बेस्ट फ्रेंड को रखा जाता है, यानी लवर अगर धोखा दे दे या फिर ब्रेकअप कर ले, तो सबसे करीब को दोस्त से ही उसे रिप्लेस किया जा सकेगा. कई बार बेस्ट फ्रेंड इस ताक में रहते हैं कि कब लड़का या लड़की अपने लवर से अलग हो जाए और वो खुद उसकी जगह ले ले. लेकिन बेंचिंग के अपने नुकसान हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
1. अनसर्टेनिटी
बेंचिंग कैटेगरी में रहने वालों के लिए सबसे बुरा ये होता है कि उनके रिश्ते को लेकर अनसर्टेनिटी बनी रहती है, क्या वो भी ‘बेंच’ से हटकर मेन रिलेशनशिप में शामिल हो पाएंगे? कई बार तो आप हमेशा के लिए बेंच पर ही रह जाते हैं और आपका क्रश जिंदगीभर के लिए किसी और का हो जाता है.
2. कमिटमेंट न होना
आपका क्रश कमिटेड होने से चता है, क्योंकि उसके लिए अभी ऑप्शन खुला हुआ है, ऐसे में वो आपसे कभी नहीं कहेगा/कहेगी कि जिंदगीभर का साथ चाहिए. यानी आप खुद के रिलेशनशिप को लेकर दावे के साथ कुछ नहीं कह पाएंगे.
3. इनफिरियॉरिटी कॉम्पलेक्स
ऐसे रिश्ते में आपको खुद को लेकर इनफिरियॉरिटी कॉम्पलेक्स और कॉन्फिडेंस की कमी होने लगेगी, कि ‘क्या मैं इस रिलेशनशिप के काबिल नहीं हूं?’, ‘वो मुझसे बेहतर क्यों है?’, ‘क्या मैं कभी किसी की फर्स्ट प्रायॉरिटी बन पाउंगा/पाउंगी?’ वगैरह.