नहीं रहे ICICI बैंक को शुरू करने वाले नारायणन वाघुल, 2010 में म‍िला था पद्म भूषण

Narayanan Vaghul, who started ICICI Bank, is no more, received Padma Bhushan in 2010
Narayanan Vaghul, who started ICICI Bank, is no more, received Padma Bhushan in 2010
इस खबर को शेयर करें

Narayanan Vaghul Death: फेमस बैंकर और आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन नारायणन वाघुल (Narayanan Vaghul) का चेन्‍नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया क‍ि घर में गिरने के बाद पिछले दो दिन से उनकी हालत गंभीर थी. वाघुल फैम‍िली की तरफ से जारी स्‍टेटमेंट में कहा गया ‘आपको यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि पद्म भूषण नारायणन वाघुल सर का आज दोपहर चेन्‍नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. 88 वर्षीय वाघुल सर के परिवार में उनकी पत्‍नी, बेटी और बेटा है.

सरकारी बैंकों के सबसे कम उम्र के प्रमुख रहे

बयान में बताया गया क‍ि अंत‍िम दर्शन के लिए उनके आवास पर लोग आज शाम 5 से 8 बजे तक चेन्‍नई के साउथ कैनाल बैंक रोड स्थित बोनएवेंचुरा अपार्टमेंट्स के मेजेनाइन हॉल में लोग आ सकते हैं. दशकों तक अपने करियर के दौरान वाघुल ने आईसीआईसी बैंक को शुरुआती वित्तीय संस्थान से एक पूर्ण बैंक बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. वाघुल बैंक में केवी कामथ समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के मेंटर की भूमि‍का में रहे. वाघुल की खास बात यह रही क‍ि वह सरकारी बैंकों के सबसे कम उम्र के प्रमुख रहे.

आईसीआईसी के साथ पूरे 24 साल काम किया
1981 में सिर्फ 45 साल की उम्र में वह बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन बन गए. वाघुल ने आईसीआईसी के साथ पूरे 24 साल काम किया. 1985 में वह बतौर चेयरमैन और सीईओ आईसीआईसी लिमिटेड में शामिल हुए और 2009 तक वो ग्रुप हेड रहे. 2010 में उन्हें ट्रेड एंड इंडस्‍ट्री सेक्‍टर में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. बैंकिग सेक्‍टर के दिग्गज वाघुल बैंकों में बड़ी कंपनियों के आने के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने साल 2023 में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि भारत में बड़ी कंपनियों को कभी भी अपना बैंक खोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

कई सम्मान और पुरस्कार से सम्‍मान‍ित क‍िया गया
वाघुल ने समझाया था कि भारत ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पहले के अपने अनुभव से सीख लिया है और वही गलती दोहराते हुए बड़ी कंपनियों को बैंकिंग सेक्टर में आने नहीं देगा. वाघुल ने कहा था पहले सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों को अच्छा माना जाता था. लोग अक्सर कहते थे कि इंडस्‍ट्र‍ियल घराने जिन बैंकों के मालिक होते थे, उनका कामकाज ठीक नहीं चलता था. उन्हें पूरा भरोसा था कि भारत में दोबारा ऐसा नहीं होगा. वाघुल को कई सम्मान और पुरस्कार से सम्‍मान‍ित क‍िया गया था.