हरियाणा में हर पांचवीं गर्भवती महिला में रक्त की कमी, हो रहीं एनीमिया का शिकार; ऐसे होगा बचाव

In Haryana, every fifth pregnant woman is suffering from anemia; This is how the rescue will happen
In Haryana, every fifth pregnant woman is suffering from anemia; This is how the rescue will happen
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भिवानी। प्रदेश में इन दिनों गर्भवती महिलाओं में खून की कमी के मामले बढ़ते ही जा रहे है। प्रदेश में सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या के आधार पर हर पांचवीं महिला में खून की कमी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार हरियाणा में अनीमिया से प्रजनन उम्र 18 से 49 वर्ष तक की 60 प्रतिशत से अधिक महिलाओं में खून की कमी है यानी वे एनीमिया की शिकार है।

7200 के करीब गर्भवती महिलाएं एनिमिया की शिकार
इनमें गर्भवती महिलाओं की बात करें तो 40 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाओं में खून की कमी है। प्रदेश में हर महीने औसतन करीब 18 हजार गर्भवती महिलाएं नागरिक अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचती है, जिनमें 40 प्रतिशत यानी 7200 के करीब गर्भवती महिलाएं एनिमिया की शिकार है। ज्यादा चिंता की बात सात ग्राम से कम खून वाली गर्भवती महिलाओं को लेकर है।

खून की जरूरत ज्यादा
इन गर्भवती महिलाओं के लिए ही औसतन हर महीने प्रदेश में 200 यूनिट से अधिक खून की जरूरत पड़ती है।इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग हर माह नौ तारिख को गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच उन्हें दवा और खानदान का परामर्श दे रहे है।

भिवानी नागरिक अस्पताल की बात करें तो महिला रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में रोजाना करीब 160 से 180 महिलाएं जांच करवाने आ रही है। इनमें से 60 से 65 महिलाओं में हीमोग्लोबिन 11 ग्राम से कम है। जबकि 30 से 40 महिलाएं तो ऐसे है जिनमें एचबी की मात्रा महज चार से पांच ग्राम के बीच है। ऐसे में इन महिलाओं को चिकित्सक विशेष कैटेगरी में शामिल कर उनका उपचार कर रहे है। यह हालत अकेले भिवानी नागरिक अस्पताल की नहीं बल्कि प्रदेशभर के अस्पतालों की स्थिति है।

हर माह चढ़ा रहे 200 से अधिक ब्लड यूनिट
ऐसे में ऐसे में चिकित्सक उन्हें दवा के साथ ही एहतियात का परामर्श दे रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर ब्लड यूनिट भी चढ़ानी पड़ती है। प्रदेश में औसतन हर माह 200 से 210 तक गर्भवती महिलाओं को डिलिवरी के दौरान या फिर पहले ब्लड यूनिट चढ़ानी पड़ती है। हालांकि सरकार और स्वास्थ्य निदेशालय ने गर्भवती महिलाओं को ब्लड यूनिट चढ़ाने की बजाय उनमें सामान्य रूप से ब्लड बढ़ाने पर जोर देने की बात कहीं है।

खान-पान पर नहीं दे रही ध्यान, फिर बढ़ रही परेशान
ओपीडी में जांच करवाने आने वाली महिलाओं के सर्वे के आधार पर सामने आया कि मुख्य कारण खान-पान का ध्यान नहीं रखना है। पौष्टिक आहार की कमी सामने आ रही है। गर्भावस्था के दौरान शरीर को अधिक मात्रा में विटामिन, मिनरल व फाइबर के साथ-साथ आयरन की जरूरत होती हैं।

खून बढ़ाने के आहार
-चुकंदर आयरन की कमी को तुरंत दूर करता है और हीमोग्लोबिन बढ़ाता है।

-अनार का जूस या दाने का सुबह-शाम सेवन करें।

– ड्राई फूट्स, अलसी के बीज आदि का सेवन करें।

– गुड़ खाने से भी आयरन की कमी दूर होती है।