अंदर लालू पर सवालों की झड़ी, बाहर गेट पर खाना और दवा लेकर बैठीं बेटी मीसा

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पटना: बिहार में न सिर्फ राजनीतिक भूचाल आया, बल्कि लालू प्रसाद यादव पर भी कहर टूटा है। रेलवे में जमीन के बदले नौकरी घोटाले (Land For Job Scam) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने उनसे घंटों पूछताछ की। पूछताछ भी सामान्य नहीं रही। ईडी के अफसरों ने सवालों की झड़ी लगा दी। लालू ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दे पाए। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने चुप्पी और टाल-मटोल की नीति अपनाई। हालांकि लालू यादव के लिए ईडी, सीबीआई और अदलातों का चक्कर लगाना कोई नई बात नहीं है। तेजस्वी यादव और उनकी मां पूर्व सीएम राबड़ी देवी तो अक्सर कहते भी हैं कि अब ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स की उनके परिवार को आदत पड़ गई है।

ईडी दफ्तर के बाहर 1997 जैसा नजारा
प्रसंगवश ये उल्लेख जरूरी है कि 1997 में बहुचर्चित चारा घोटाले में लालू यादव को जब सीबीआई ने जब गिरफ्तार किया था, तो आरजेडी के समर्थक उत्तेजित हो गए थे। सीबीआई के तत्कालीन ज्वाइंट डायरेक्टर यूनएस विश्वास बताते हैं कि वह ऐसा दौर था कि जब भी वे कोलकाता से जांच के लिए पटना जाते तो अपनी पत्नी से यही कह कर निकलते- लौट कर नहीं भी आ सकता हूं। लालू की गिरफ्तारी के दिन तो उन्होंने सेना बुलाने की मांग कर दी थी। ठीक वैसा ही दृश्य सोमवार को भी दिखा। लालू से ईडी की टीम पूछताछ कर रही थी और बाहर आरजेडी के समर्थक नारेबाजी कर रहे थे।

सीबीआई ने किया था अरेस्ट
अवकाश प्राप्ति के बाद यूएन विश्वास को ममता बनर्जी ने बंगाल में मंत्री बना दिया था। विश्वास के मुताबिक लालू यादव की गिरफ्तारी 1997 में 50वें स्वतंत्रता दिवस के ठीक महीने भर हुई थी। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल से पहले आदेश प्राप्त किया और गिरफ्तारी का ग्रीन सिग्नल लिया था। उन्हें लालू समर्थकों के हंगामे का अंदेशा था, इसलिए आर्मी बुलाने की मांग भी की थी। ठीक वैसा ही नजारा सोमवार को भी देखने को मिला। लालू यादव ईडी के पटना दफ्तर पहुंचे तो बाहर समर्थकों का जमावड़ा भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर रहा था।

खाना-दवाई लेकर बैठी रहीं मीसा
इतना ही नहीं, राज्यसभा की सदस्य और लालू यादव की बेटी मीसा भारती भी ईडी दफ्तर के बाहर लालू के लिए दवाई और खाना लेकर बैठी रहीं। ईडी की टीम जिस समय लालू यादव से अंदर पूछताछ कर रही थी, उस वक्त राजद के कई विधायक, विधान परिषद सदस्य जमे रहे। लालू की हेकड़ी तब गायब हो गई, जब ईडी दफ्तर पहुंचने के बाद उनकी गाड़ी को कैंपस में घुसने से सुरक्षा कर्मियों ने रोक दिया। उन्हें करीब 30 मिनट तक ईडी के गेट पर ही इंतजार करना पड़ा। लालू गाड़ी में बैठे-बैठे इंतजार करते रहे। आखिरकार उन्हें पैदल ही ईडी कैंपस में घुसना पड़ा। लालू को साथ लेकर सांसद मीसा भारती कैंपस के अंदर गईं, लेकिन मीसा को अधिकारियों ने बाहर निकाल दिया। जैसे ही वे बाहर निकलीं, आरजेडी के समर्थक और उत्तेजित होकर नारेबाजी करने लगे।

लालू की बेटी रोहिणी भारी गुस्से में
लालू को अपना किडनी देकर उनकी जान बचाने वाली बेटी रोहिणी आचार्य इस पूरे घटक्रम से काफी दुखी थीं। उन्होंने गुस्से में सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर लिखा कि उनके पिता के साथ अमानवीय व्यवहार ईडी के अधिकारियों की ओर से किया गया। रोहिणी ने लिखा- ‘आप सबको पता है पापा की हालात। बिना सहारे चल नहीं सकते। फिर भी बिना उनके सहायक के गेट के अंदर घुसा लिया’। रोहिणी ने लोगों से इस मामले में मदद भी मांगी। उन्होंने कहा कि ईडी के अधिकारियों के सामने गुहार लगाने के बाद भी उनकी बहन मीसा भारती को सहायक के तौर पर अंदर नहीं जाने दिया गया। अगर मेरे पापा को खरोंच भी आया तो मेरे से बुरा कोई नहीं होगा। रोहिणी ने यह भी कहा कि लोग उनके शब्दों को नोट कर लें, ताकि सनद रहे। रोहिणी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव को कुछ भी होने पर इसकी जवाबदेही ‘गिरगिट’ के साथ-साथ सीबीआई, ईडी और इनके ‘मालिक’ को की होगी। शायद उन्होंने ‘गिरगिट’ विशेषण का इस्तेमाल नीतीश कुमार और मालिक का भाजपा सरकार के लिए किया।