जवानों के लिए ’पिटाई’ बोलने पर भडके जयशंकर, राहुल गांधी को खूब सुनाई खरी खोटी

Jaishankar got angry on saying 'beating' for the soldiers, Rahul Gandhi heard a lot of lies
Jaishankar got angry on saying 'beating' for the soldiers, Rahul Gandhi heard a lot of lies
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नई दिल्ली: लोकसभा में आज एंटी-मेरीटाइम पाइरेसी ऐक्ट पर चर्चा के दौरान तीखी नोंकझोक हुई। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने जी-20 प्रेसिडेंसी को लेकर सरकार पर तंज कसा। चीन की महत्वाकांक्षा का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकार के उदासीन रवैये की बात कही। कुछ देर बाद जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर खड़े हुए तो उन्होंने हर सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि माननीय सदस्य हमारी सरकार को चीन के खिलाफ उदासीन कह रहे हैं। अगर ऐसा होता तो बॉर्डर पर सेना को भेजने का फैसला न लिया जाता। हम चीन पर पीछे हटने के लिए दबाव न बनाते। हम खुलेआम कह रहे हैं कि संबंध सामान्य नहीं हैं। जयशंकर ने आगे कहा कि हमें राजनीतिक आलोचना पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने जवानों को क्रिटिसाइज नहीं करना चाहिए। हमारे जवान यांगत्से में 13,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात होकर बॉर्डर की रक्षा कर रहे हैं उनके लिए ‘पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल शोभा नहीं देता। उनका सम्मान किया जाना चाहिए। उनका इशारा राहुल गांधी की तरफ था।

अधीर रंजन संसद में भड़क गए। हालांकि जयशंकर बोलते रहे। हाल में राहुल गांधी ने दावा किया था कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है जबकि सरकार सोई हुई है। तवांग झड़प के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि भारतीय जवानों की ‘पिटाई’ की जा रही है। आज संसद में विदेश मंत्री ने राहुल के उसी बयान पर पलटवार किया है।

जी20 प्रेसिडेंसी पर अधीर का ‘प्रॉपगेंडा वार’
इससे पहले अधीर जब बिल पर बोल रहे थे तो उन्होंने सरकार की ओर से जी-20 की प्रेसिडेंसी मिलने की निर्धारित प्रक्रिया का प्रचार किए जाने को प्रॉपगेंडा कहा। अधीर ने कहा कि दूसरे ज्वलंत मुद्दों जैसे, भारत चीन बॉर्डर पर बात नहीं हो रही है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं माननीय मंत्री को सजेस्ट करना चाहता हूं कि आप जब बाहर जाते हैं तो 2 बाई 2 रहते हैं, आप रहते हैं और हमारे रक्षा मंत्री रहते हैं। यहां 2×2 चर्चा क्यों नहीं होती है? अधीर ने आगे समंदर के लिए सख्त कानून बनाने की वकालत की। अधीर ने जी20 पर तंज कसा तो जयशंकर ने इसका भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कोई चीज रोटेशनल है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसका कोई महत्व नहीं है।

अधीर ने कहा कि हम हिंद महासागर क्षेत्र में रह रहे हैं और इसका काफी महत्व है। काफी व्यापार इस रास्ते से होता है। एक रिपोर्ट के हवाले से कांग्रेस सांसद ने कहा कि दुनिया में 42 प्रतिशत विवाद हिंद महासागर क्षेत्र के देशों से संबंधित है। ऐसे में समझा जा सकता है कि अमेरिका और चीन की इस क्षेत्र पर नजर है। अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति और चीन की बॉर्डर एवं मेरीटाइम स्ट्रैटिजी है। ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर विपक्ष की भी राय ली जानी चाहिए।

निशिकांत दुबे बोले, ये कोई विषय है?
कांग्रेस सांसद काफी देर तक बोलते रहे तो भाजपा सांसद निशिकांत दुबे खड़े हुए और रूल बुक से पढ़कर कहा कि ये बिल पाइरेसी का है। दक्षिण चीन में क्या हो रहा, चीन क्या कर रहा है। ये कोई विषय है सर? विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई तो दुबे रूल बुक दिखाने लगे। इस पर अधीर ने कहा कि अगर जयशंकर जी कह दे कि मैं गलत बोल रहा हूं तो मैं अभी बैठ जाऊंगा। उस समय अपनी सीट पर बैठे विदेश मंत्री मुस्कुरा रहे थे।

अधीर रंजन चौधरी आगे अपनी बात रखते रहे। उन्होंने कहा कि यह मेरा कर्तव्य है कि मैं कुछ मुद्दों पर विदेश मंत्री का ध्यान आकर्षित करूं क्योंकि वह आर्ट ऑफ डिप्लोमेसी जानते हैं। अधीर आगे डिप्लोमेसी की परिभाषा बताने लगे। इस दौरान उन्होंने स्टालिन का नाम लिया तो उस पर एक सदस्य ने तंज कसा। अधीर ने जवाब दिया कि मैंने स्टालिन का नाम इसलिए लिया क्योंकि इस सरकार को शी जिनपिंग के रास्ते को नहीं अपनाना चाहिए। जयशंकर लगातार मुस्कुराते रहे। बाद में उन्होंने कहा कि मैं इस बिल का सपोर्ट कर रहा हूं।

इसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने सभी सदस्यों का धन्यवाद दिया। जयशंकर ने बताया कि संबंधित कमेटी की हर सिफारिशों को स्वीकार किया गया है। आगे बोलते हुए जयशंकर ने उन सवाल पर आंकड़े रखे जिसमें कहा गया था कि तमिल मछुआरे और गुजरात के मछुआरों को अलग-अलग तरह से ट्रीट किया जाता है। उन्होंने कहा कि मैं तमिल हूं जो गुजरात से चुनकर आया है, मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि किस तरफ की तस्वीर सामने रखूं इसलिए मैं विन-विन जवाब दूंगा। स्पीकर भी हंस पड़े। विदेश मंत्री ने 2014 से सारे आंकड़े सामने रखे। उन्होंने साफ कहा कि अगर किसी सरकार ने तमिल मछुआरों की समस्याओं को दूर करने की कोशिश की है तो वह नरेंद्र मोदी सरकार है।