अभी अभीः उत्‍तराखंड में भीषण हादसाः खाई में गिरा यात्रियों से भरा वाहन, अब तक 12 की मिली लाशें, मचा हाहाकार

Just now: Horrific accident in Uttarakhand: A vehicle full of passengers fell into the ditch, 12 bodies found so far, there was an outcry
Just now: Horrific accident in Uttarakhand: A vehicle full of passengers fell into the ditch, 12 bodies found so far, there was an outcry
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गोपेश्‍वर (चमोली): चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड में एक ओवरलोड यात्री वाहन 500 मीटर गहरी खाई में जा गिरा। दुर्घटना में वाहन सवार दो महिलाओं समेत 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं दो ने कूदकर जान बचाई। मृतकों में चालक के साथ दो सगे भाई भी शामिल हैं। 10 सीटर टाटा सूमो में 17 लोग सवार थे।

वाहन में क्षमता से अधिक सवारी
इनमें पांच यात्री गाड़ी की छत पर बैठे थे। दुर्घटना का प्रारंभिक कारण क्षमता से अधिक सवारी बैठी होने के कारण वाहन का चढ़ाई पर आगे न बढ़ पाना बताया जा रहा है। जिस स्थान पर वाहन अनियंत्रित होकर खाई में गिरा, वहां सड़क कच्ची है और इसका कुछ हिस्सा निर्माणाधीन है।

चमोली जनपद के जोशीमठ ब्‍लाक के पल्ला जखोला मोटर मार्ग पर आज एक टाटा सूमो वाहन खाई में गिर गया। वाहन में 10 से 12 लोग सवार बताए जा रहे हैं।

मृतक आश्रितों को दो-दो लाख, मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश
परिवहन विभाग ने अभी इस पर वाहनों के संचालन की अनुमति नहीं दी है। यह वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले दो चेकपोस्ट से होकर गुजरा, लेकिन कहीं पर भी उसे नहीं रोका गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुख जताते हुए मृतक आश्रितों को दो-दो लाख आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।

खड़ी चढ़ाई नहीं चढ़ पा रहा था वाहन
शुक्रवार दोपहर बाद एक टाटा सूमो वाहन जोशीमठ से किमाणा गांव के लिए चला। लगभग साढ़े तीन बजे जोशीमठ से 32 किमी दूर उर्गम-जखोला मार्ग पर पल्ला गांव के पास वाहन खड़ी चढ़ाई नहीं चढ़ पा रहा था। इस पर वाहन चालक सुबोध ने किमाणा गांव के वाहन सवार जीतपाल को गाड़ी के टायर में पत्थर लगाने को कहा। इस बीच चालक ने ब्रेक लगाया, लेकिन वह ओवरलोड वाहन को नियंत्रित नहीं कर सका और वाहन लुढ़कते हुए खाई में जा गिरा।

ज‍िलाध‍िकारी, एआरटीओ समेत एनडीआरएफ टीम मौके पर पहुंची
स्थानीय ग्रामीणों ने हादसे की जानकारी पुलिस को दी। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, एआरटीओ ज्योतिशंकर मिश्रा और पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। खाई में जाने का रास्ता न होने के कारण रेस्क्यू टीम रस्सियों के सहारा खाई में उतरी और तीन घायलों को रेस्क्यू कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उर्गम में प्राथमिक उपचार के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोशीमठ में भर्ती कराया गया। जबकि, दो अन्य यात्रियों ने सामान्य चोट के चलते उपचार नहीं कराया।

शवों को खाई से निकालने में रात तक जुटे रहे जवान
किमाणा गांव के जीतपाल ने बताया कि हादसे में उनकी पत्नी की भी मौत हो गई। चालक किमाणा का ही निवासी है और खुद ही वाहन का मालिक भी है। वह पिछले सात-आठ माह से ही वाहन चला रहा था। वहीं शवों को खाई से निकालने में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान रात तक जुटे रहे।

इमरजेंसी लाइट के सहारे पांच शवों को सड़क तक पहुंचाया
हेलंग उर्गम पल्ला जखोला मोटरमार्ग पर हुई टाटा सूमो दुर्घटना में पांच सौ मीटर खाई में गिरे शवों तक पहुंचना भी किसी मुश्किल कार्य से कम नहीं था। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व पुलिस की टीम ने रस्सियों के सहारे खाई में जाकर पहाड़ी में इधर-उधर गिरे शवों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

रात्रि भर शवों को जेनरेटर व इमरजेंसी की रोशनी में शवों को खाई से निकालकर सड़क तक पहुंचाया। शवों का सड़क में ही पोस्टमार्टम भी कराया जा रहा है। बताया गया कि दुर्घटनाग्रस्त में वाहन में घायलों को निजी वाहनों से उर्गम चिकित्सालय तक पहुंचाया गया हालांकि यहां से एंबुलेंस से जोशीमठ ले जाया गया। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस खड़ी चट्टान तक पहुंचना किसी खतरे से कम नहीं है। एसडीआरएफ की टीम जिस हौसले के सहारे मौके पर पहुंची वह काबिलेतारीफ है।

अधूरी सड़क पर दो साल से सरपट दौड़ रहे वाहन
हेलंग-उर्गम-किमाणा मोटर मार्ग पर हुई टाटा सूमो दुर्घटना ने एक बार फिर तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब सड़क का निर्माण ही पूरा नहीं हुआ था और तकनीकी रूप से पास नहीं था तो कैसे दो साल से इस पर सरपट वाहन दौड़ रहे थे। प्रथम दृष्टया हादसे का कारण ओवरलोडिंग और अधूरी सड़क को बताया जा रहा है। चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड का डुमक-कलगोठ क्षेत्र लंबे समय से सड़क सुविधा से महरूम था। लगभग दो दशकों से स्वीकृत सड़क पर पहले वन अधिनियम और बाद में ठेकेदार के विवाद के चलते सड़क निर्माण नहीं हो पाया।

वाहनों के संचालन की स्वीकृति नहीं मिली थी
2016 में विवाद सुलझने के बाद पीएमजीएसवाई पोखरी डिविजन ने सड़क निर्माण में तेजी दिखाई। वर्तमान में 20 किमी से अधिक स्वीकृत सड़क पर उर्गम से 12 किमी आगे किमाणा तक वाहनों की आवाजाही हो रही है। सड़क निर्माण में लगे ठेकेदारों के बड़े-छोटे वाहनों के साथ सड़क पर स्थानीय ग्रामीणों के वाहन भी सरपट दौड रहे हैं। सड़क निर्माण कार्य चालू होने के चलते अभी सड़क को परिवहन विभाग व प्रशासन की ओर से वाहनों के संचालन की स्वीकृति नहीं मिली थी। नियमानुसार प्रशासन व परिवहन विभाग, निर्माण एजेंसी के संयुक्त निरीक्षण के बाद एआरटीओ की ओर से आरटीओ को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर कमिश्नर की ओर से नवनिर्मित सड़क को आवाजाही के लिए स्वीकृति दी जाती है। लेकिन, इस सड़क पर उर्गम से 12 किमी क्षेत्र में न तो डामरीकरण हुआ है, न ही पुश्ते समेत अन्य जरूरी कार्य पूरे हुए हैं। एआरटीओ ज्योतिशंकर मिश्रा ने बताया कि यह सड़क अभी परिवहन नियमों के अनुसार पास नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन के अभी दस्तावेज पूर्ण हैं।चालक के लाइसेंस को लेकर दस्तावेजों की जांच की जा रही है।