आखिरी सांस लेने से पहले कुछ ऐसा कर गईं लता दीदी कि भाव-विभोर हो गए डॉक्टर

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नई दिल्ली: अपनी मखमली आवाज से करोड़ों लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाली भारत रत्न लता मंगेश्कर अब हमारे बीच नहीं हैं। लता दीदी ने जिदंगीभर अपनी मधुर आवज से ना सिर्फ लोगों का मनोरंजन किया बल्कि उनके बीच एक अमिट छाप भी छोड़ गईं। लता मंगेश्कर की आदत में सिर्फ साहस, सहयोग और सहारा जैसे शब्द रहे। लता अपने खुद के जीवन को लेकर अंतरमुखी रहीं। वो दूसरों के सामने दुख जताने की जगह उनके दुख जानने में और मदद करने में ज्यादा दिलचस्पी लेती थीं। उन्होंने अपनी तकलीफों के बारे में कभी ना तो सार्वजनिक मंच पर और ना ही किसी और तरीके से कभी बात की। लता जी ने हमेशा अपनी आवाज के साथ-साथ एक मधुर मुस्कान से लोगों के बीच अपनी पहचान को कायम रखा। खास बात यह है कि अंतिम सांस लेते वक्त भी वो कुछ ऐसा कर गईं, जिसे दुनिया हमेशा याद रखेगी। ये बात ब्रींच केंडी अस्पताल में उनके डॉक्टर समदानी ने कही।

ब्रीच कैंडी अस्पताल के डॉक्टर प्रतीत समदानी ने दावा किया कि, अंतिम पलों में लता मंगेश्कर के पास ही थे। उन्होंने बताया कि अंतिम सांसें लेते वक्त भी लता जी मन में संतोष का भाव व चेहरे पर मुस्कान थी। मधुर मुस्कान के साथ ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। डॉ. समदानी बीते तीन वर्षों से लता मंगेश्कर का इलाज कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जब भी वह बीमार होतीं और उनकी हालत बिगड़ती तो वह उनका इलाज करते थे, लेकिन इस बार उनकी हालत दिनोंदिन गिरती जा रही थी। डॉ. समदानी ने बताया कि लता दीदी को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की गई। लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें बचाया नहीं जा सका। उन्होंने बताया जिस तरह उन्होंने पूरे जीवन में अपनी आवाज और एक मधुर मुस्कान से लोगों के बीच पहचान बनाई थी, अंतिम पलों में भी उनका विश्वास और मुस्कान कुछ ऐसा ही था। इसी मुस्कान के साथ उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा।

अस्पताल में भर्ती होने पर क्या कहती थीं लता?
यही नहीं ये लता मंगेश्कर की महानता ही थी कि जब भी वे अस्पताल में भर्ती होती थीं, तब उन्हें खुद के साथ-साथ दूसरे मरीजों की भी उतनी ही चिंता रहती थी। डॉ. समदानी के मुताबिक जब भी उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाता था तो वह कहा करती थीं कि ‘सभी की देखभाल समान रूप से होनी चाहिए’। इसके साथ ही वह अपना जो भी इलाज जरूरी होता था, उसके लिए हमेशा तैयार रहती थीं। इलाज से बचने का उन्होंने कभी कोई प्रयास नहीं किया। लता दीदी के सरल स्वभाव का जिक्र करते हुए डॉ. समदानी ने कहा, ‘मैं उन्हें उनकी मुस्कान के लिए जीवनभर याद रखूंगा। यहां तक कि अंतिम घड़ी में उनके चेहरे पर मुस्कान थी।’

पिछले कुछ वर्षों से कम बात करती थीं
डॉ. समदानी के मुताबिक बीते कुछ वर्षों से लता दीदी की सेहत ठीक नहीं थी। यही वजह थी कि उन्होंने मिलना जुलना और बात करना कम कर दिया था। बता दें कि महान गायिका लता मंगेशकर का रविवार को 92 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें कोविड-19 व निमोनिया की शिकायत के बाद 8 जनवरी को भर्ती कराया गया था।