धामी सरकार के निशाने पर अल्पसंख्यक स्कूल, उत्तराखंड में जानें-क्यों लटकी कार्रवाई की तलवार?

Minority schools on target of Dhami government, learn in Uttarakhand - why the sword of action hangs?
Minority schools on target of Dhami government, learn in Uttarakhand - why the sword of action hangs?
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देहरादून. उत्तराखंड में करीब 300 स्कूलों को अल्पसंख्यक स्कूलों का दर्जा मिला हुआ है. लेकिन अब शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसके चलते देहरादून के एक स्कूल की मान्यता खत्म होने के कगार पर है. उत्तराखंड में अल्पसंख्यक स्टेट्स वाले 286 स्कूल चल रहे हैं. इन स्कूलों का मैनेजमेंट क्रिश्चियन, सिख और मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोगों के हाथ में है.

दरअसल, किसी भी शैक्षणिक संस्था को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने के लिए दो बातें जरूरी है. पहला संस्थान को बनाने में और वहां के मैनेजमेंट में संबंधित धर्म के लोग शामिल हों और दूसरा संस्थान में 50 फ़ीसदी सीटें उसी अल्पसंखयक समुदाय के लिए आरक्षित हो. इस बीच अल्पसंख्यक स्कूलों, खासकर क्रिश्चन स्कूलों से जुड़ी शिकायतें मिलने के बाद एजुकेशनल डिपार्टमेंट में उनकी कुंडली निकालनी शुरू की है. फिलहाल, इसकी जद में देहरादून का एक क्रिश्चियन स्कूल आ रहा है.

हालांकि एजुकेशन डिपार्टमेंट स्कूलों की कुंडली देख तो रहा है, पर जानकार यह भी कहते हैं कि अल्पसंख्यक स्कूल या स्कूलों की मान्यता सिर्फ इस आधार पर खत्म करना कानूनी तौर पर चैलेंजिंग हो सकता है कि वहां 50 फ़ीसदी स्टूडेंट्स अल्पसंख्यक नहीं है. शिक्षा विभाग की प्रारंभिक पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स का टोटा क्रिश्चन स्कूलों और कुछ मामलों में सिखों से जुड़े शैक्षणिक संस्थाओं में दिख रहा है. मुस्लिम एजुकेशन संस्थाओं में ऐसी स्थिति नहीं दिख रही है.

राज्य में कई अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान हैं, लेकिन ये स्कूल अल्पसंख्यक वर्ग के गरीब परिवारों के बच्चों को दाखिला नहीं देते हैं. अल्पसंख्यक स्कूलों में राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत बच्चों को निशुल्क शिक्षा के तहत दाखिला नहीं मिलता है. अब शिक्षा विभाग ने अल्पसंख्यक स्कूलों की जांच योजना बनाई है. अल्पसंख्यक स्कूल के छात्रों का धर्म के आधार पर ब्यौरा लिया जाएगा और स्कूल की मान्यता प्रक्रिया में बदलाव होगाय