यूपी में इन 10 सीटों पर फिर होने जा रही NDA बनाम INDIA की टक्कर, भाजपा के सामने बड़ी चुनौती

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लखनऊ. NDA vs INDIA in UP: हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की थी। 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में इस बार बाजी विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (INDIA) ने मारी। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन वाले INDIA गुट ने यूपी में 43 सीटें जीतने में सफलता पाई है। कई लोग इसे भाजपा के लिए बहुत बड़ा नुकसान मान रहे हैं, जिसके चलते भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर बहुमत हासिल करने से वंचित रह गई। अब यूपी में एक बार फिर से अगले कुछ महीनों में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मंच तैयार है।

लोकसभा के बाद अब INDIA और NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का मुकाबला विधानसभा सीटों पर है। दरअसल लोकसभा चुनावों में मुख्य रूप से सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के नौ विधायक विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों से विजयी हुए। उनमें से कुछ ने अपनी लोकसभा सीटें बरकरार रखने के लिए विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है, और बाकी आने वाले दिनों में ऐसा करेंगे।

सीसामऊ विधानसभा सीट भी खाली

सीसामऊ विधानसभा सीट भी खाली होने जा रही है, क्योंकि इसके सपा विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में हाल ही में सात साल की सजा सुनाई गई थी। यानी सोलंकी अब विधानसभा की सदस्यता खोने वाले हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज संसदीय क्षेत्र को बरकरार रखने के लिए अपनी करहल विधानसभा सीट पहले ही खाली कर दी है। जबकि पार्टी के मिल्कीपुर विधायक अवधेश प्रसाद ने भी फैजाबाद (अयोध्या) संसदीय सीट जीतने के बाद विधायकी से इस्तीफा दे दिया है।

लोकसभा चुनावों में जहां सत्तारूढ़ भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन खो दी, तो वहीं विपक्षी गुट INDIA (सपा और कांग्रेस) राज्य में फिर से उभरता हुआ प्रतीत हुआ है। उपचुनावों के लिए दोनों अभी से कमर कस रहे हैं। अयोध्या के मिल्कीपुर में पहले से ही आक्रामक कंपटीशन की उम्मीद है। सत्तारूढ़ भाजपा सपा से इस सीट को छीनना चाहेगी, क्योंकि वह महत्वपूर्ण फैजाबाद निर्वाचन क्षेत्र में सपा से लोकसभा की लड़ाई हार चुकी है।

करहल से किसे उतारेगी सपा-भाजपा?

वहीं सपा अभी भी इस बात पर विचार कर रही है कि करहल से उसका सबसे बेहतर संभावित उम्मीदवार कौन होगा। इसके लिए अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव का नाम चर्चा में है। तेज प्रताप को पहले लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सपा का उम्मीदवार घोषित किया गया था, उसके बाद अखिलेश ने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया।

2022 के विधानसभा चुनाव तक इनमें से ज्यादातर सीटों पर लड़ाई सपा और भाजपा (या उसके सहयोगी) के बीच थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में राज्य में अपने मजबूत प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ने भी कुछ सीटों पर लड़ने की इच्छा जताई है। कांग्रेस ने इनमें से कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने में रुचि दिखाई है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता इन सीटों पर सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ना है, क्योंकि हम सफल गठबंधन को आगे बढ़ाना चाहते हैं। अगर यह संभव नहीं होता है, तो हम अकेले चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं। हम इनमें से कुछ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेंगे।” फिलहाल सभी दलों के सामने मुख्य काम इन सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन जल्दी से जल्दी करना है, ताकि वहां उनकी संभावनाएं बढ़ सकें।

करहल में एक अहम मुकाबला

करहल में एक अहम मुकाबला होगा। अखिलेश ने 2022 में भाजपा उम्मीदवार और पूर्व सपा नेता एसपी सिंह बघेल को करीब 67,000 वोटों के बड़े अंतर से हराकर यह सीट जीती थी। बघेल को आगरा से भाजपा सांसद के रूप में फिर से चुना गया है और पार्टी के नेतृत्व वाली नई एनडीए सरकार में भाजपा ने उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया है। उम्मीद है कि इससे बघेल को इस सीट पर अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

फिलहाल मिल्कीपुर में सबसे बड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, जहां से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद से सांसद चुने गए हैं। 2022 में प्रसाद ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ को करीब 13,000 वोटों से हराया था। प्रसाद पासी (दलित) समुदाय से हैं। फैजाबाद के तहत ही राम मंदिर वाली अयोध्या नगरी भी आती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सूत्रों ने बताया कि फैजाबाद में पासी उम्मीदवार से हारने के बाद भाजपा मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में पासी उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है।

इन सीटों पर भी होगी कांटे की टक्कर

उपचुनाव वाली सीटों में कठेरी भी शामिल है, जहां से सपा विधायक लालजी वर्मा अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से जीते हैं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा सांसद (बसपा) रितेश पांडेय को हराया है। वरिष्ठ सांसद और पूर्व बसपा नेता लालजी वर्मा विधानसभा में सपा के सबसे अनुभवी चेहरों में से एक थे। पार्टी को अब इस सीट से एक अच्छे रिप्लेसमेंट की तलाश करनी होगी। भाजपा की एनडीए सहयोगी निषाद पार्टी इस सीट पर नजर गड़ाए हुए है, क्योंकि उसके उम्मीदवार अवधेश कुमार 2022 में वर्मा से करीबी मुकाबले में हार गए थे। इसके अलावा, उसके एक विधायक विनोद कुमार बिंद मझवां से भाजपा के टिकट पर भदोही लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं, ऐसे में पार्टी विधानसभा में एक सीट हासिल करना चाहेगी।

उपचुनाव के लिए एक और विधानसभा सीट मुरादाबाद की कुंदरकी है, जिसके सपा विधायक जिया-उर-रहमान अब पार्टी के टिकट पर संभल लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं। भाजपा के लिए खैर विधानसभा सीट भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि मौजूदा विधायक और राज्य के राजस्व मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि अब हाथरस (एससी-आरक्षित) लोकसभा सीट से निर्वाचित हो गए हैं। अन्य भाजपा विधायक जो लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और अपनी सीटें खाली करेंगे, उनमें फूलपुर विधानसभा सीट से प्रवीण पटेल शामिल हैं और गाजियाबाद विधानसभा सीट से अतुलगर्ग, जो गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुने गए हैं।