यूं ही बिहार के ‘किंग’ नहीं हैं नीतीश कुमार, देखिए कैसे एक चाल में ही पलट दिया पूरा खेल

Nitish Kumar is not the 'King' of Bihar just like that, see how he changed the whole game in just one move
Nitish Kumar is not the 'King' of Bihar just like that, see how he changed the whole game in just one move
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वही बिहार के रियल किंग हैं. नीतीश ने अपनी एक चाल से राजनीति के कई मंझे हुए खिलाड़ियों को मैदान से ही बाहर कर दिया. अगर आप भी हाल-फिलहाल की घटनाओं को देखेंगे तो ये बात आपको भी समझ में आ जाएगी. अब जरा सिलसिलेवार तरीके से इसे देखते हैं. ये तो सभी जानते हैं कि पीएम मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष एकजुट हो चुका है. हालांकि, विपक्ष के नेता और कितनी देर तक साथ चलेंगे, ये अभी कोई नहीं बता सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण है इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग.

इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर मामला अभी तक अनसुलझा है. सीटों का गणित सुलझाने की कोशिशें जारी हैं. इसके बाद भी यूपी-बिहार से लेकर दिल्ली-पंजाब तक कहीं भी गठबंधन के साथियों के बीच तालमेल बन नहीं पा रहा है. इसी को लेकर सोमवार (8 जनवरी) को इंडी एलायंस से जुड़े दो पार्टियों के नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. ये नेता थे सीपीआई नेता डी. राजा और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता टीआर बालू. इससे पहले महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले कपिल पाटिल भी नीतीश कुमार से मिले थे.

अब जरा अतीत में थोड़ा सा पीछे देखिए. इंडी गठबंधन की नींव भले ही नीतीश कुमार ने रखी थी, लेकिन गठबंधन के साथी नेता हमेशा पहले राजद अध्यक्ष लालू यादव से मिलने जाते थे. अब किसी भी नेता ने लालू यादव से मुलाकात नहीं की. ये नीतीश कुमार की सिर्फ एक चाल का असर है. दरअसल, इंडिया ब्लॉक की दिल्ली में हुई चौथी बैठक के बाद नीतीश ने जेडीयू की कमान अपने हाथ में ले ली. कहा तो ये भी जा रहा है कि ललन सिंह को लालू यादव से नजदीकी बढ़ाने की कारण ही अध्यक्ष पद से हटाया गया है.

जेडीयू की कमान संभालने के बाद से नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में खुद को और मजबूत कर लिया है. इसके बाद से गठबंधन में जिस किसी को भी बात करनी होगी, वह केवल और केवल नीतीश कुमार से करनी होगी. यही कारण है कि अब लालू यादव एकदम से साइड लाइन हो चुके हैं. वहीं अगर ललन सिंह से बात होती तो खेल खराब हो सकता था और बात लालू प्रसाद यादव और उनकी फैमिली तक पहुंच सकती थी.