अभी अभी: छत्तीसगढ़ में किसान भूपेश बघेल की बढ़ाएंगे मुश्किलें? मामला जानने लायक

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंत्रालय के ठीक सामने दिल्ली की तर्ज पर किसानों ने आंदोलन (nawa raipur kisan aandolan) शुरू कर दिया है। यह आंदोलन छत्तीसगढ़ में पिछले 18 दिनों से चल रहा है। किसान आंदोलन (kisan aandolan in nawa raipur) की शुरुआत तीन जनवरी को हई थी। नवा रायपुर में चल रहे इस आंदोलन में 27 गांवों के प्रभावित किसान हैं। इन किसानों से नवा रायपुर के लिए जमीन लिया गया था। किसानों का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण के समय राज्य सरकार ने जो वादा किया था, उसे नहीं निभाया है। किसान अपनी जिद पर अड़े हैं और सरकार से लिखित आश्वासन की मांग कर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि जब तक हम हमारी मांगे नहीं पूरी होती है, तब तक हम आंदोलन पर डंटे रहेंगे। इस आंदोलन में रोजाना हजारों की संख्या में किसान आ रहे हैं। वही आंदोलन को दूसरे किसान संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। दूसरी ओर लगातार सरकार किसानों से वार्ता करना चाह रही है लेकिन किसानों का यह कहना है कि उन्हें आश्वासन नहीं लिखित में सहमति चाहिए। इस कारण लगातार वार्ता भी विफल हो रही है। वही बीते दिनों राजनीतिक संगठन में किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए आंदोलनकारियों के बीच पहुंचे थे लेकिन किसानों ने उनका समर्थन लेने से इनकार कर दिया था। अब किसान अपनी मांगों को लेकर केवल किसान संगठनों के साथ ही धरने पर बैठे हुए हैं।

गौरतलब है कि नवा रायपुर के 27 गांव के किसान मंत्रालय भवन के ठीक सामने तंबू गाड़ कर बैठ गए हैं। यहां रोजाना हजारों किसानों का भोजन बनता है। किसान अपने खेतों में उगने वाली सब्जियों को और घर से राशन चावल इत्यादि लाकर रोजाना आंदोलन में इकट्ठा करते हैं। और किसानों के इन्हीं सहयोग से ही हजारों आंदोलनकारी किसानों का भोजन यहां पर प्रतिदिन बनता है। किसानों की मांग है कि नवा रायपुर में हमें 1200 वर्गफीट जमीन दी जाए। साथ ही रोजगार दिया जाए। नवा रायपुर इन किसानों की जमीन पर ही बसा है।