नेहरू की कर्मभूमि फूलपुर से चुनाव लड़ सकती हैं प्रियंका! कांग्रेस को कई सीटों पर बढ़त मिलने की उम्मीद

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प्रयागराज। लगभग तीन दशक से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर चल रही कांग्रेस में लोकसभा चुनाव से पहले जान फूंकने की कवायद चल रही है। प्रदेश संगठन को मजबूत करने के साथ कुछ संसदीय क्षेत्रों में दमदारी से चुनाव लड़ने का रोडमैप तैयार किया गया है। इसमें फूलपुर संसदीय क्षेत्र भी शामिल है।

रायबरेली से पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं। उनके लिए फूलपुर संसदीय क्षेत्र को उर्वर माना जा रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की कर्मस्थली का हवाला देते हुए कांग्रेस आईएनडीआईए से अपने लिए फूलपुर सीट की मांग करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि फूलपुर नेहरू की कर्मस्थली है। हर कांग्रेसी का उससे भावनात्मक जुड़ाव है।

यही कारण है कि पार्टी फूलपुर से प्रियंका को चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है। इससे कांग्रेस के साथ आईएनडीआईए को भी लाभ मिलेगा। पूर्वांचल में हमारी पकड़ मजबूत होगी। प्रियंका के फूलपुर से चुनाव लड़ने का इलाहाबाद, भदोही, कौशांबी, प्रतापगढ़ के साथ पूर्वांचल की अन्य सीटों पर असर दिखेगा।लखनऊ के साथ प्रयागराज को बनाया केंद्रकांग्रेस ने लखनऊ के बाद प्रयागराज को अपना केंद्र बनाया है।

प्रयागराज प्रांत का गठन किया गया है। संगठनात्मक दृष्टिकोण से इसमें प्रयागराज, वाराणसी सहित पूर्वांचल के 12 जिले हैं। पूर्वांचल में लोकसभा की 26 सीटें हैं। फिलहाल इसमें 22 भाजपा के पास है। कभी कांग्रेस का गढ़ था फूलपुरफूलपुर क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ था। प्रथम प्रधानमंत्री व राहुल-प्रियंका के परनाना जवाहर लाल नेहरू यहां से वर्ष 1952, 1957 व 1962 का लोकसभा चुनाव जीते थे।

नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 के उपचुनाव में उनकी बहन विजयालक्ष्मी पंडित विजयी हुईं। वह 1967 में पुन: फूलपुर से जीतीं। उनके इस्तीफा देने के बाद 1969 में हुए उपचुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र ने कांग्रेस के केशवदेव मालवीय को हराया। 1971 में कांग्रेस के टिकट पर वीपी सिंह फूलपुर से जीते। 1977 में जनता पार्टी की प्रत्याशी कमला बहुगुणा ने कांग्रेस के रामपूजन पटेल को हराया था। कमला 1980 में कांग्रेस से जीतीं। 1984 में कांग्रेस के रामपूजन पटेल जीते। इसके बाद सभी चुनाव में कांग्रेस को हार मिली।