शादी से पहले या पति-पत्नी के अलावा किसी और से संबंध बनाने पर मिलेगी सजा!

Punishment will be given for having relations with anyone other than husband and wife before marriage.
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जकार्ता: इंडोनेशिया में शादी से पहले सेक्स यानी शारीरिक संबध पर जल्द ही बैन लगने वाला है. इसे लेकर एक कानून ड्राफ्ट हो चुका है और माना जा रहा है कि इसी महीने इंडोनेशिया के पार्लियामेंट से यह कानून पास हो जाएगा. इस नए मसौदे के मुताबिक, इंडोनेशिया में न केवल शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने पर बैन होगा, बल्कि शादी के बाद पार्टनर के अलावा किसी और से संबंध बनाना भी अपराध माना जाएगा. इसके लिए सजा का भी प्रावधान है. अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इंडोनेशिया की संसद इस महीने एक नया कानून (आपराधिक कोड) पारित कर सकती है, जिसमें शादी के बाद अपनी लाइफ पार्टनर के अलावा किसी और से यौन संबंध बनाने पर एक साल तक की जेल की सजा मिल सकती है. संभावित नए कानून के मुताबिक, इंडोनेशिया में केवल पति और पत्नी को ही शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार होगा. इतना ही नहीं, राष्ट्रपति या सरकारी संस्थान का अपमान करना और इंडोनेशिया की विचारधारा के खिलाफ विचार व्यक्त करना भी बैन होगा. शादी से पहले सहवास यानी सेक्स पर भी पाबंदी होगी.

इंडोनेशिया के डिप्टी न्याय मंत्री एडवर्ड उमर शरीफ हियरीज ने रॉयटर्स को बताया कि इस नए आपराधिक कोड के 15 दिसंबर को पारित होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि हमें इस आपराधिक कोड (कानून) पर गर्व है, जो इंडोनेशियाई मूल्यों के अनुरूप है. वहीं, इस कानून के मसौदे को तैयार करने में शामिल एक सांसद बंबांग वुरियन्टो ने कहा कि नया कोड अगले सप्ताह की शुरुआत में पारित किया जा सकता है. माना जा रहा है कि इस कानून को बनाने की तैयारी कई वर्षों से चल रही थी.

हालांकि, इस मसौदे को लेकर बवाल भी शुरू हो गया है. कुछ इस्लामी समूह जहां इस मसौदे का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ विरोध भी हो रहा है. यह मसौदा 2019 में पारित किया जाना था, मगर उस वक्त देशव्यापी विरोध को देखते हुए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. हजारों लोगों ने उस समय प्रदर्शन किया था और कहा था कि यह कानून नागरिक स्वतंत्रता को कम कर देगा.

दरअसल, इंडोनेशिया दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला मुस्लिम-बहुल देश है. स्थानीय स्तर पर ऐसे सैकड़ों नियम हैं, जो महिलाओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों और एलजीबीटी लोगों के खिलाफ भेदभाव करते हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच के एंड्रियास हर्सोनो ने कहा कि कोड में बदलाव इंडोनेशियाई लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका होगा. वहीं, डिप्टी न्याय मंत्री ने आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि नए कोड से लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को खतरा नहीं होगा.