राहुल गांधी का अरविंद केजरीवाल को समर्थन, संदीप दीक्षित-अजय माकन की गुहार गई बेकार!

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) को समर्थन के सवाल पर कांग्रेस हाईकमान ने स्थानीय यूनिट के सुझावों को दरकिनार कर दिया। दिल्‍ली कांग्रेस के नेता नहीं चाहते थे कि पार्टी AAP के साथ खड़ी नजर आए। इसके बावजूद, रविवार को कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस दिल्‍ली में सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े अध्यादेश (Delhi Ordinance) का विरोध करेगी। कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं- अजय माकन और संदीप दीक्षित ने लगातार अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमला बोला था।

दिल्‍ली सरकार में मंत्री राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि ‘कांग्रेस ने दिल्‍ली अध्‍यादेश का स्‍पष्‍ट विरोध करने की घोषणा की।’ AAP लगातार अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन जुटा रही है। बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक से पहले, AAP ने एक तरह से शर्त रख दी थी कि अगर कांग्रेस अध्यादेश का स्‍पष्‍ट विरोध नहीं करती तो वह विपक्षी मोर्चे का हिस्सा नहीं बनेगी। बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को कांग्रेस की मेजबानी में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक होने वाली है। बैठक के लिए आम आदमी पार्टी समेत 24 विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि आप ने कहा था कि वह केंद्र के अध्‍यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद ही इस बैठक में हिस्‍सा लेगी।

क्‍या कह रहे थे संदीप दीक्षित और अजय माकन?
माकन और दीक्षित का दावा है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल एक इस तरह का विशेष अधिकार चाहते हैं, जो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी नहीं मिला। अजय माकन बताते हैं कि बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में गठित एक समिति ने 21 अक्टूबर, 1947 को दिल्ली को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया था कि जहां तक दिल्ली का संबंध है, हमें ऐसा लगता है कि भारत की राजधानी को शायद ही किसी स्थानीय प्रशासन के अधीन रखा जा सकता है। इस बीच, आम आदमी पार्टी के तिमारपुर से पूर्व विधायक प्रो. हरीश खन्ना कहते हैं कि दिल्ली की स्थिति विशेष तो है। यहां पर विदेशी दूतावास और उच्चायोग भी हैं। इसलिए इसे दिल्ली सरकार को पूरी तरह से नहीं सौंपा जा सकता। पर केंद्र सरकार को भी उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली सरकार के कामकाज में हस्तेक्षप बंद करने होंगे।

शनिवार की मीटिंग में कांग्रेस ने लिया फैसला
शनिवार को कांग्रेस की मीटिंग में इस बारे में मंथन हुआ था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में दिल्ली के अध्यादेश के मुद्दे पर आप के समर्थन का इशारा किया था। कांग्रेस नेता ने स्पष्ट रूप से तो अध्यादेश पर कुछ नहीं बोला लेकिन आप के समर्थन का संकेत देते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा चुनी हुई सरकारों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ जो आक्रमण हो रहा है, उसका हम संसद के भीतर और बाहर विरोध करेंगे।

17 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ट्रांफसर-पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश को चुनौती देने वाली आप की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने पिछले सोमवार को सरकार को नोटिस जारी किया था। आप सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र का यह अध्यादेश मनमाना है, जो सुप्रीम कोर्ट और संविधान की मूल संरचना को किनारे करता है। साथ ही दलील दी कि अध्यादेश के प्रावधानों पर स्टे होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मामले में अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।