हरियाणा में नहीं थम रहा लंपी वायरस का कहर, सरकार ने पशुपालकों के लिए जारी किया हेल्पलाइन नंबर

The havoc of the virus is not stopping in Haryana, the government has issued a helpline number for the cattle owners
The havoc of the virus is not stopping in Haryana, the government has issued a helpline number for the cattle owners
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चंडीगढ़: Lumpy Virus Helpline Number: उत्तर भारत के कई राज्य इन दिनों लंपी स्किन वायरस जैसी खतरनाक बीमारी की गिरफ्त में हैं. राजस्थान में इस बीमारी से अब तक 2 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है. उत्तर प्रदेश में भी इससे मरने वाली गायों की संख्या 100 के पार जा चुकी है. गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में हालात बद से बदतर हो चुके हैं. जहां लंपी स्किन वायरस की चपेट में आकर सैंकड़ों पशुओं की मौत दर्ज की जा चुकी है. इससे दुग्ध व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ है.

हरियाणा सरकार ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
हरियाणा के 3 हजार से ज्यादा गांवों में लंपी वायरस की एंट्री हो गई है. हजारों की संख्या में दुधारू पशु इससे संक्रमित हैं. मौतों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. स्थिति को भयावह होते देख राज्य सरकार पहले से ही सतर्क है. इसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने पशुपालकों के लिए हेल्पलाइन नंबर 9485737001, 9300000857 जारी किए हैं. दुधारू पशुओं में लंपी वायरस से जुड़े लक्षण दिखने पर या किसी तरह की मदद की जरूरत पड़ने पर सरकार ने पशुपालकों से इन नंबर्स पर तुरंत संपर्क करने का निर्देश दिया है.

पशुओं में दिखाई दे रहे लंपी वायरस के ये लक्षण
इस वायरस से संक्रमित पशुओं के नाक और मुंह से पानी व लार गिरने लगती है. तेज बुखार होता है और ऐसे जानवर भोजन छोड़ देते है. ऐसे पशुओं की चमड़ी के नीचे पहले छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं. यह दाने घाव में बदल जाते हैं. यह अधिकतर मवेशियों के मुंह, गर्दन और गुप्तांग के पास पाए जाते हैं.

सरकार भी जारी कर चुकी है एडवाइजरी
लंपी वायरस के बढ़ते कहर को देखते हुए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा सरकार ने एडवाइजरी जारी कर पशुपालकों को कई सावधानियां बरतने की सलाह दी है. मसलन गायों के लंपी वायरस से संक्रमित होने पर तुरंत निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करने, संक्रमित गाय को स्वस्थ गायों से अलग करने, संक्रमित गायों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने, दुधारू पशुओं के आसपास मच्छरों, मक्खियों, घुनों आदि से बचाव के लिए कीटनाशक का प्रयोग करने का निर्देश दिया गया है.