मुजफ्फरनगर जिले के एनसीआर में शामिल होते ही निजी बसों की संख्या हुई कम

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मुजफ्फरनगर। जिले के एनसीआर में शामिल होते ही निजी बसों की संख्या कम होने लगी है। इसकी वजह डीजल से चलने वाले वाहनों के संचालन की अवधि दस साल किया जाना है। इसके बाद मुजफ्फरनगर-गंगोह मार्ग और शामली मार्ग से दस-दस और मीरापुर मार्ग की आठ बसों को हटाना पड़ा है। इनकी जगह नई बस नहीं आई और यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

मुजफ्फरनगर-शामली मार्ग के बस मालिक ने इस मार्ग पर 46 बसें प्रति दिन चलती हैं। लेकिन दो साल पहले मुजफ्फरनगर को एनसीआर में शामिल कर लिया गया और एनओसी नियम लागू हो गया। दस साल की अवधि तय किए जाने के बाद इस मार्ग से दस बसें हटानी पड़ी। ऐसे में कुछ लोगों के सामने तो रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। दूसरी बस लगाने के लिए उनके पास पर्याप्त धन नहीं हैं। मीरापुर-मुजफ्फरनगर मार्ग पर चलने वाली बस के मालिक हाजी शकील ने बताया कि नियम के लागू होने के बाद आठ बसों को हटाना पड़ा था।

फिटनेस थी बिल्कुल सही
बस संचालन कारोबार से जुड़े लोगों ने कहा, कि एनसीआर नियम के तहत कई बस हटानी पड़ी। जबकि यह बसें फिटनेस व अन्य तरह से सही थी। लेकिन एनसीआर नियम के चलते बसों को हटाना पड़ा था।

एक बस पर तीन कर्मचारी
एक बस पर तीन कर्मचारी काम करते थे, इन कर्मचारियों के सामने भी बस हटने के बाद संकट खड़ा हो गया था।