31 दिसंबर को खत्म हो रहा है यूपी के मुख्य सचिव का कार्यकाल, जानें कौन-कौन से अधिकारी हैं दावेदारों की कतार में

The tenure of the Chief Secretary of UP is ending on December 31, know which officers are in the line of contenders
The tenure of the Chief Secretary of UP is ending on December 31, know which officers are in the line of contenders
इस खबर को शेयर करें

लखनऊ : दुर्गा शंकर मिश्र मुख्य सचिव के पद पर बरकरार रहेंगे या कोई नया अफसर आएगा। इस पर कयास तेज हो गए हैं। मिश्र का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्म हो रहा है। चर्चा यह भी है कि मिश्र को सेवा विस्तार न मिलने और किसी दूसरे अफसर पर सहमति न बनने की स्थिति में 1988 या 1989 बैच के अफसर को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया जा सकता है।

सेवा विस्तार के लिए अभी तक नहीं भेजी चिट्ठी
सूत्रों के मुताबिक मौजूदा मुख्य सचिव के सेवा विस्तार के लिए राज्य सरकार की तरफ से अभी तक कोई पत्र केंद्र सरकार को नहीं भेजा गया है। आईएएस अफसरों को सेवा विस्तार केंद्र सरकार ही देती है। अगर राज्य सरकार की तरफ से पत्र जाता है, तो केन्द्र उस पर क्या निर्णय लेता है, ये देखना दिलचस्प होगा। 1984 बैच के आईएएस दुर्गा शंकर मिश्र पिछले साल दिसंबर में 60 वर्ष के हो गए थे। तब वह केंद्र सरकार में सचिव थे। रिटायरमेंट से कुछ दिनों पहले ही मिश्र को सेवा विस्तार देते हुए यूपी मूल काडर में भेज दिया गया था। उन्हें 31 दिसंबर, 2022 तक का सेवा विस्तार मिला था।

इन अफसरों की है दावेदारी
सूत्रों के अनुसार, मिश्र को सेवा विस्तार न मिलने पर 1985 बैच के अधिकारी पूर्व मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी यूपी कैडर के सबसे सीनियर अफसर होंगे। वह इस समय चेयरमैन, उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्टेशन कॉरपोरेशन के पद पर तैनात हैं। मगर उनका रिटायरमेंट फरवरी में है, ऐसे में उन्हें जिम्मेदारी सौंपे जाने की उम्मीद कम है। यूपी कैडर में अब 1986 बैच का कोई अफसर नहीं है। ऐसे में सरकार 1987 या 1988 बैच के किसी अफसर को मुख्य सचिव बना सकती है। मौजूदा समय में 1987 बैच के अफसरों में यूपी में तैनात अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता सबसे सीनियर हैं। कुछ महीने पहले ही उनकी वापसी राजभवन से मुख्यधारा में हुई है। गुप्ता के रिटायरमेंट में अभी करीब डेढ़ साल है। राजस्व परिषद के अध्यक्ष संजीव कुमार मित्तल भी 1987 बैच के हैं। उनका रिटायरमेंट भी इसी साल है। अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन हेमंत राव भी 1987 बैच के हैं और उनका रिटायरमेंट भी फरवरी, 2024 में है। इसके अलावा केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात आईएएस अरुण सिंघल, लीना नंदन और सुनील कुमार भी 1987 बैच के अफसर हैं। इनके रिटायरमेंट में अभी लंबा वक्त है।

मुख्य सचिव की रेस में सबसे ज्यादा जिस नाम को लेकर चर्चा है, वह हैं कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह। लेकिन 1988 बैच के मनोज कुमार सिंह को जिम्मेदारी मिलती है, तो सचिवालय से 1987 बैच के अफसरों को बाहर करना पड़ेगा। 1988 बैच के आईआईडीसी अरविंद कुमार भी इस रेस में है। मगर उनका रिटायरमेंट फरवरी में है। फरवरी-2023 में सचिवालय से बाहर तैनात यूपीएसआरटीसी के चेयरमैन राजेंद्र कुमार तिवारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, तो मनोज कुमार सिंह से सीनियर कोई एक अधिकारी वहां एडजस्ट हो सकता है। संजीव कुमार मित्तल पहले से ही सचिवालय से बाहर राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर तैनात हैं। इसी तरह से उनसे वरिष्ठता में ऊपर शेष अधिकारियों को सचिवालय से बाहर के अन्य पदों पर भेजकर एडजस्ट किया जा सकता है।

कार्यवाहक मुख्य सचिव को तैनात करने की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि सरकार पहले भी ऐसा प्रयोग कर चुकी है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में जब आईएएस अनूप चन्द्र पांडे मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए थे। तब करीब पांच महीने तक आईएएस राजेन्द्र कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में तैनात किया गया था। हालांकि बाद में उन्हें ही मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई। इससे पहले सपा सरकार में भी जब आलोक रंजन मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए थे। तब करीब एक हफ्ते के लिए प्रवीर कुमार को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाया गया था। बाद में दीपक सिंघल को मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।