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भोपाल। मध्य प्रदेश के चुनावी आंकड़े भी दिलचस्प हैं। यहां 2009 के बाद प्रत्येक लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में इजाफा हुआ है। मगर इसका फायदा विपक्षी दल को नहीं बल्कि सत्ताधारी दल को हुआ है। इन सबके बीच भाजपा ने हर सीट पर 60 फीसदी मत हासिल करने का लक्ष्य तय कर दिया है। मगर कांग्रेस अभी इस दिशा में कुछ खास नहीं कर रही है। भाजपा ने 10 फीसदी अधिक मत हासिल करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। बूथ और गांव स्तर पर कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी भी तय कर दी है। 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया है। पार्टी की रणनीति हर मतदान केंद्र में 370 मतों को अपने पक्ष में करने का है।
2008 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 69.52 फीसदी मतदान हुआ था। परिसीमन के बाद यह प्रदेश में पहला चुनाव था। भारतीय जनता पार्टी को 143 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस ने 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को 36.81 और कांग्रेस को 36.04 फीसदी मत मिले थे। भाजपा की नजर कमजोर मतदान वाले बूथों पर है। इस बीच चुनाव आयोग ने भी कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों को चिन्हित किया है। यहां जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
2013 विधानसभा चुनाव का हाल
72.69 फीसदी हुआ था कुल मतदान
भाजपा को 44.87 और कांग्रेस को 36.38 प्रतिशत मत मिले
165 सीटें जीतकर भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनाई
कांग्रेस की सीटें घटीं, 71 से 58 में सिमट गई
2018 विधानसभा चुनाव का हाल
75.63 प्रतिशत हुआ था कुल मतदान
भाजपा को 41.02 फीसदी मत और 109 सीटें मिलीं
कांग्रेस को 40.89 फीसदी मत और 114 सीटों पर जीत मिली
बसपा, सपा और निर्दलीयों के सहारे कमल नाथ ने सरकार बनाई
डेढ़ वर्ष में ही बहुमत खोया और बाद में भाजपा ने सरकार बनाई
बढ़े मतदान का भाजपा को हुआ फायदा
2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 43.35 फीसदी मत मिले थे। वहीं कांग्रेस को 40.14 फीसदी वोट मिले थे। अगर सीटों की बात करें तो भाजपा को 16 और कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली थी। 2014 में प्रदेश में मतदान का आंकड़ा बढ़ गया था। इस चुनाव में भाजपा ने 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस केवल गुना और छिंदवाड़ा सीट ही बचा पाई थी। 2014 लोकसभा चुनाव में 61.57 फीसदी मतदान हुआ था। भाजपा का वोट शेयर 10.57 प्रतिशत बढ़कर 54.02 हो गया था। वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 5.25 फीसदी घटा। इस बढ़े मतदान का सीधा फायदा भाजपा को हुआ था।
2019 में बढ़ी भाजपा की एक सीट
2019 लोकसभा चुनाव में भी बढ़े मतदान का फायदा भाजपा को हुआ। इस चुनाव में भी भाजपा का वोट शेयर बढ़ा। 2019 में कुल मतदान 71.16 प्रतिशत हुआ था। पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर 58 फीसदी हो गया था। पार्टी ने 29 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस का वोट शेयर .39 प्रतिशत घटकर 34.50 रह गया। इसका असर यह हुआ कि गुना सीट भी पार्टी हार गई और आंकड़ा एक सीट पर सिमट गया।
काम नहीं आ रही बूथ की रणनीति
प्रदेश में कांग्रेस ने वोट शेयर बढ़ाने की रणनीति तो बनाई मगर वह काम नहीं आई। पार्टी ने युवा कांग्रेस को ‘एक यूथ प्रत्येक बूथ’ का लक्ष्य दिया। मगर यह अधूरा रह गया। बूथ, सेक्टर और मंडलम का फंडा भी पार्टी के काम नहीं आया। 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 77.82 फीसदी मतदान हुआ। यहां भी बढ़े मतदान पर भाजपा ने बाजी मारी। 2018 में पार्टी को जहां 41.02 मत मिले तो वहीं 2023 में यह आंकड़ा 48.55 प्रतिशत पहुंच गया। इसका असर यह हुआ कि भाजपा ने 163 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस सिर्फ 66 सीटों पर सिमट गई। पार्टी का वोट शेयर भी 40.40 प्रतिशत रह गया।
इन जिलों पर चलेगा जागरुकता अभियान
भारत निर्वाचन आयोग ने 26 जिलों में जन जागरुकता अभियान शुरू किया है। इन जिलों में 2023 विधानसभा चुनाव में राज्य औसत से कम मतदान हुआ था। 26 जिलों की 75 लोकसभा सीटों पर चुनाव आयोग का मतदान बढ़ाने पर फोकस है।
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