दो हिस्सों में बंटने वाला है ये महाद्वीप, एक और समुद्र बनने की आशंका, फैल रही है दरार

This continent is going to be divided into two parts, there is a possibility of becoming another sea, the crack is spreading
This continent is going to be divided into two parts, there is a possibility of becoming another sea, the crack is spreading
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अफ्रीका महाद्वीप के दो हिस्सों में टूटने की शुरुआत हो चुकी है. अफ्रीका के पूर्वी भाग के रेड सी (Red Sea) से मोजाम्बिक (Mozambique) के बीच 3500 किलोमीटर लंबी दरार फैलती जा रही है. क्या वाकई अफ्रीका के दो हिस्से होने जा रहे हैं? जानना है तो थोड़ा भूगोल (Geography) की तरफ रुख करना पड़ेगा. जैसा कि साइंटिस्टों ने बताया है कि पृथ्वी कई प्लेटों से मिलकर बनी है. इन प्लेटों में लगातार गतिविधि होती है जिसे प्लेट टेक्टोनिक प्रक्रिया कहा जाता है. जिसकी वजह से पृथ्वी पर भूकंप, ज्वालामुखी, सुनामी जैसी घटनाएं होती हैं. इसी प्रक्रिया में जब दो प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती हैं तो पृथ्वी पर धंसाव होता है, जिसके वजह से रिफ्ट वैली (Rift Valley) का निर्माण होता है. कई जगहों पर रिफ़्ट वैली से नदियों, झीलों का निर्माण होता है, लेकिन कभी कभी ये धंसाव ज्यादा होने की वजह से वहां धरती दो हिस्सों में बंट जाती है. कुछ ऐसा ही रिफ्ट वैली की घटना आने वाले भविष्य में अफ्रीका में होने जा रही है. जिससे अफ्रीका का पूर्वी तट मेन लैंड (Main Land) से अलग हो जाएगा और बीच में एक सागर का निर्माण होगा जो लाल सागर को हिंद महासागर से जोड़ेगा.

पूर्वी अफ्रीका के एक बड़ा हिस्से में विशालकाय दरार फैलती जा रही है. ये दरार हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देश जिबूती से शुरू होकर मोजांबिक तक पहुंच गई है. इसकी कुल लंबाई 3500 किलोमीटर है. आए दिन इसमें प्राकृतिक घटनाएं जैसे कि ज्वालामुखीय लावा निकलना शामिल है. दिन प्रतिदिन ये दरार बढ़ती ही जा रही है.

अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में स्थित ये रिफ़्ट वैली अफ्रीकी प्लेट को दो आसमान हिस्सों में बांटती जा रही है. रिफ्ट्स किसी भी महाद्वीप या भूभाग (Lithosphere) के टूटने का पहला चरण होता है. मान लें जब लिथोस्फियर horizontal Expanding Force के नीचे होगा तो यह फैलते हुए पतला हो जाएगा और आखिरकार दो हिस्सों में टूट जाएगा.

अफ्रीका प्लेट दक्षिण अफ्रीका से मिले हुए थे तब इस प्लेट टेक्टोनिक्स की घटना से ये कालांतर में अलग होते गए और अटलांटिक महासागर का निर्माण हुआ. कुछ ऐसी ही घटना अफ्रीका में दोबारा होने जा रही है जिसकी वजह से पूर्वी तट दो असमान भागों में बंटता जा रहा है. आने वाले समय में इस रिफ़्ट वैली में एक सागर बेसिन का निर्माण हो जाएगा. उदाहरणतः बता दें कि आज जहां विशालकाय हिमालय खड़ा है वहां कभी टेथिस सागर हुआ करता था. यहां प्लेट टेक्टोनिक्स की घटना में दो प्लेटें आपस में जुड़ती गईं और सागर के पास विशालकाय पर्वत का निर्माण हो गया. हिमालय की आज भी ऊंचाई बढ़ रही है.

इस रिफ़्ट वैली की दरार का असर इतना ज्यादा होगा कि आने वाले समय में पूर्वी अफ्रीका के देश सोमालिया और इथियोपिया अलग हो जाएंगे और और खाली गैप में समुद्र का निर्माण हो जाएगा.

रिफ़्ट वैली की दोनों प्लेटें सोमालियान और नुबियन टेक्टोनिक प्लेट्स इथियोपिया के अफार में मिलती हैं. यहां Y आकार की एक रिफ़्ट वैली का निर्माण होता है. यहां 20 मीटर चौड़ी खाई इन्हें अलग करती है. यहां का कुछ हिस्सा समुद्र तल के नीचे है. यानी अभी ये समुद्र में डूबी नहीं है, पर घाटी के पूर्ण विकसित होने के बाद ये हिस्सा समुद्र के अंदर समा जाएगा.