सात दिन के नोटिस पर यूपी विधानसभा सत्र, 64 साल बाद नियमों में संशोधन

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लखनऊ। यूपी विधानसभा का सत्र 14 दिन के नोटिस की जगह सात दिन के नोटिस पर आयोजित किया जा सकेगा। वहीं माननीयों की ओर से लगाए प्रश्नों और मांगी गई जानकारियों पर विभागों को साफ्ट कॉपी में जवाब देना होगा। विधानसभा नियमावली 1958 में संशोधन के बाद न केवल नियमावली में भाषा से जुड़े जटिल शब्द हटाए जाएंगे, बल्कि नियमावली में अत्याधुनिक तकनीक और डिजिटल प्लेटफार्म को स्वीकार करने जैसे नियम शामिल किए जाएंगे।

विधानसभा में सत्र आयोजित करने के लिए 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का मानना है कि वर्तमान में संचार और परिवहन के साधन इतने बेहतर है कि 14 दिन की जगह 7 दिन के नोटिस पर सदन आहूत किया जा सकता है। उप्र. विधानसभा में ई-विधान लागू किया गया है इसे नियमावली में शामिल किया जाएगा। ई विधान को नियमावली में शामिल करने के बाद सभी विभागों को विधानसभा से जुड़े सवालों और पत्रों के जवाब साफ्ट कॉपी में भी देने होंगे।

विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान तारांकित सवालों के जवाब मेज पर लगे टैबलेट पर प्रदर्शित हो जाते हैं, नियमावली में संशोधन कर यह व्यवस्था लागू की जा रही है कि टैबलेट में जवाब अपलोड होने के बाद उसे पढ़ा हुआ मान लिया जाएगा।

सदस्य अपने प्रश्न पर सीधे पूरक प्रश्न करेंगे जिसका जवाब मंत्री को देना होगा इससे सदन का समय बचेगा और प्रश्नकाल में सभी प्रश्नों पर बात हो सकेगी। नियमावली में संशोधन पर कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसका मसौदा तैयार कर नियम समिति को दिया जाएगा। नियम समिति की संस्तुति के बाद उसे विधानसभा के बजट सत्र 2023 में पेश किया जाएगा।