हरियाणा में पराली प्रबंधन के लिए गांव- गाव जागरूकता अभियान शुरू, सरकार ने दिए सख्त आदेश

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सोनीपत : पराली प्रबंधन को लेकर दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे अभियान को बल मिला है। अब प्रशासन ने भी जागरूकता अभियान शुरू किया है। कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। वहीं, उनको पराली प्रबंधन के गुर भी सिखाएंगे। बृहस्पतिवार को उपायुक्त ललित सिवाच ने फसल अवशेष प्रबंधन किसान जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वैन के माध्यम से किसानों को गांव-गांव जाकर फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के तत्वावधान में इस अभियान की शुरुआत की गई है।

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उपायुक्त ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, केंद्र और प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी किसान फसलों के अवशेष न जलाएं। ऐसा करने से प्रदूषण बढ़ता है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। विशेष रूप से श्वांस के रोगियों के लिए समस्या बढ़ जाती है। उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सरकार किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है। किसानों को इस योजना का पूर्ण लाभ उठाना चाहिए। यह एक पंथ दो काज वाली स्थिति है। फसल अवशेष प्रबंधन से किसान पराली से कमाई भी कर सकते हैं। इसके लिए सरकार सब्सिडी पर कृषियंत्र उपलब्ध करवा रही है, जिनकी सहायता से अवशेषों का प्रबंधन सरल हो जाता है। औद्योगिक इकाइयों में भी पराली का उपयोग होता है जो कि स्वयं इसकी खरीद करती है। इस मौके पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप-निदेशक डा. अनिल सहरावत और देवेंद्र कुहाड़ व अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

ग्रामीण स्तर पर जागरूकता टीमें गठित :

उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए ग्रामीण स्तर पर टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में एक पटवारी तथा ग्राम सचिव और कृषि विभाग के एक कर्मचारी को शामिल किया गया है। गठित टीमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करेंगी। इसके बावजूद यदि अवशेष जलाने की घटना होती है तो टीम उसकी सूचना भी प्रशासन को देगी। अवशेष जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे फसलों के अवशेष किसी भी सूरत में न जलाएं। प्रदूषण नियंत्रण में प्रशासन का सहयोग करें।