हर माता-पिता को सावधान करने वाली खबर, कहीं आपकी जेब पर भारी न पड़ जाए ये लत

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नई दिल्ली: बच्चों को लग रही एक ऐसी बुरी आदत, जिसके बारे में हर मां बाप को सावधान होना चाहिए, क्योंकि अगर आपने अपने बच्चे पर ध्यान नहीं दिया तो उसकी ये लत आपकी जेब पर भी भारी पड़ सकती है और आपके बच्चे की जिंदगी पर भी. ये ऑनलाइन गेम (Online Game) खेलने की लत है. मुंबई में रहने वाले एक 16 साल के बच्चे को पबजी (PUBG) नाम का ऑनलाइन गेम खेलने का शौक था. वो इस गेम के एडवांस लेवल पर पहुंचना चाहता था. इसके लिए मोबाइल ऐप पर पैसे खर्च करने पड़ते हैं. इस बच्चे ने ऐसा ही किया. उसने अपनी मां के बैंक अकाउंट से 10 लाख रुपये निकाल लिए.

इस गेम को कुछ समय पहले भारत में बैन कर दिया गया था, लेकिन अब दक्षिण कोरिया की एक कंपनी ने इस गेम को बदले हुए नाम के साथ भारत में लॉन्च कर दिया है. जब इस बच्चे की मां को इसका पता चला तो उसने अपने बच्चे को डांटा. ये बात बच्चे को बुरी लग गई. फिर उसने एक चिट्ठी लिखी और घर छोड़कर चला गया. उसने चिट्ठी में लिखा था कि अब वो कभी वापस घर नहीं आएगा. खैर 24 घंटे की मेहनत के बाद पुलिस ने बच्चे को ढूंढ निकाला और उसे समझा बुझाकर उसके घर वापस पहुंचा दिया. लेकिन ये कहानी भारत के किसी सिर्फ एक बच्चे की नहीं है. बल्कि इस समय हजारों लाखों बच्चे ऑनलाइन गेमिंग की इस बुरी आदत का शिकार हैं.

भारत में करीब 30 करोड़ लोग ऑनलाइन गेम खेलते हैं और 2022 तक ये संख्या बढ़कर 55 करोड़ हो जाएगी. फिलहाल भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार 7 से 10 हजार करोड़ रुपये के बीच है, जो अगले एक साल में 29 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. ऑनलाइन गेम खेलने वालों में से करीब 46 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो गेम जीतने के लिए या इसकी एडवांस स्टेज में पहुंचने के लिए पैसे भी खर्चने को तैयार रहते हैं.

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पिछले साल भारत में हुए एक सर्वे में 20 साल से कम उम्र के 65 प्रतिशत बच्चों ने माना था कि वो ऑनलाइन गेम खेलने के लिए खाना और नींद तक छोड़ने के लिए तैयार हैं और बहुत सारे बच्चे तो इसके लिए अपने पैरेंट्स का पैसा तक चुराने के लिए तैयार हैं. गेमिंग एडिक्शन की ये समस्या सिर्फ भारत में नहीं है. पिछले साल ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में हर 6 में से एक बच्चे ने ये माना था कि उन्होंने गेम खेलने के लिए अपने मां बाप का पैसा चुराया है. इसके लिए ज्यादातर बच्चों ने अपने मां बाप के डेबिट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया.

70 प्रतिशत ऑनलाइन गेम्स के दौरान लूट बॉक्स जैसे फीचर्स बच्चों को आकर्षित करते हैं. इन लूट बॉक्स को पैसे देकर खरीदा जा सकता है. इन लूट बॉक्स के खुलने पर गेम में आगे बढ़ने में आसानी होती है. ब्रिटेन में 19 साल से कम उम्र के 11 प्रतिशत बच्चों ने ये लूट बॉक्स खरीदने के लिए अपने मां बाप के 1 हजार 130 करोड़ रुपये चुराए थे. साल 2018 में लूट खरीदने के लिए दुनिया भर के गेमर्स ने 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे. जबकि साल 2025 तक लूट खरीदने पर गेमर्स 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपये खर्च करने लगेंगे. ये रकम भारत के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट से भी ज्यादा है. भारत का शिक्षा बजट 93 हजार करोड़ रुपये का, जबकि स्वास्थ्य बजट 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपये का है.

2020 में दिल्ली और आस पास के शहरों में हुए एक सर्वे में ये पता चला था कि यहां रहने वाल 50 प्रतिशत से भी ज्यादा बच्चों को इंटरनेट की लत लग चुकी है. इंटरनेट दोधारी तलवार की तरह है. ये आपके बच्चे को पढ़ाई लिखाई में आगे बढ़ने में मदद भी करता है, लेकिन इसकी लत उसे चोरी करना भी सिखा सकती है और मानसिक रूप से बीमार भी बना सकती है. आपको बताते हैं कि आप अपने बच्चे को इस लत से कैसे बचा सकते हैं.

मुंबई में रहने वाले एक 16 साल के बच्चे ने चिट्ठी में लिखा, ‘मैं घर छोड़कर जा रहा हूं, कभी वापस नहीं आऊंगा.’ उस मां पर क्या गुजरी होगी, जिसने अपने 16 साल के बच्चे का खत पढ़ा होगा. घंटों तक उस मां ने खुद को ये सोचकर कोसा होगा कि 10 लाख रुपए ही तो थे, जाने देती. ये सोचकर घंटों रोई होगी कि मैने अपने बच्चे को क्यों डांटा. बता दें कि इस बच्चे ने मोबाइल गेम पबजी के एडवांस स्टेज को खेलने के लिए अपनी मां के अकाउंट से 10 लाख रुपये निकाल लिए थे. मां को पता चला तो मां ने खूब डांटा और बच्चा एक लाइन का खत लिखकर घर से भाग गया.

शाम को मां घर लौटी तो बच्चा घर पर नहीं था. 24 घंटे में करीब 50 से ज्यादा सीसीटीवी खंगालने के बाद क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को ये बच्चा अंधेरी के एक मंदिर के पास दिखाई दिया. 25 अगस्त शाम से गायब हुआ 16 साल का बच्चा अगले दिन दोपहर में मिला और उसे समझा बुझा कर घर भेजा गया. ये वो खेल है, जिसके चक्रव्यूह में जीतने वाला भी हार जाता है. खेल पर फोकस, लक्ष्य पर टिकी निगाहें. मकसद सिर्फ और सिर्फ जीतना. गेमिंग में खोए लोगों की दुनिया ऐसी ही होती है. 2 साल की उम्र के मासूम से लेकर 40 साल का व्यक्ति गेमिंग के शौक से गेमिंग डिसऑर्डर की बीमारी तक कब और कैसे पहुंच जाता है, पता भी नहीं चलता. खेल खेल में आपका दिल और दिमाग इसकी लत का आदी हो जाता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मेक्सिको की रिसर्च के मुताबिक दुनिया भर में 15 प्रतिशत गेमर्स इसकी लत के शिकार हो जाते हैं और मानसिक तौर पर बीमार हो जाते हैं. हालांकि इस बीमारी के कुछ लक्षण भी होते हैं, जिन्हें वक्त पर पहचान लेना चाहिए.

– गेम के अलावा हर काम से खुद को अलग कर लेना.
– भूख कम हो जाना.
– नींद कम हो जाना.
– ना खेल पाने पर चिड़चिड़ा हो जाना.
– आंखों और कलाईयों में दर्द होना.

हाल ही में छत्तीसगढ़ में भी ऑनलाइन मोबाइल गेम फ्री फायर (FreeFire) खेलने वाले एक 13 साल के बच्चे ने इसमें 40,000 रुपये हारने के बाद सुसाइड कर लिया था. ये घटनाएं बता रही है कि ऑनलाइन मोबाइल गेम अब आपके बच्चों के लिए सिर्फ मनोरंजन ना हो कर उनके दिल दिमाग और जीवन से खिलवाड़ कर रहे है. वीडियो गेमिंग करने वाला हर इंसान बीमार नहीं होता. हफ्ते में 2 -3 बार 20 मिनट से लेकर 1 या दो घंटे बिताने में कोई बुराई नहीं है,लेकिन अगर वर्चुअल वर्ल्ड ही आपके बच्चे की दुनिया बन जाए तो ये आपको लिए चेतावनी है, अपने बच्चे को बेहतर कामों में लगाइए और उसकी दुनिया बदलिए.

आज ही चीन की सरकार ने अपने देश के बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए एक बड़ा ऐलान किया है, जिसके मुताबिक अब चीन में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे एक हफ्ते में तीन घंटे से ज्यादा ऑनलाइन गेम नहीं खेल सकते. अब चीन में इस उम्र तक के बच्चे शुक्रवार, शनिवार और रविवार को सिर्फ एक-एक घंटा ही ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं और वो भी सिर्फ रात के आठ बजे से लेकर 9 बजे तक, और ये गेमिंग कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वो इस नियम का पालन कराएं और ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चों का वेरिफिकेशन भी कराए. शायद ऐसे ही किसी नियम की जरूरत एक दिन भारत में भी पड़ जाएगी.