अब क्या होगा Apple और Samsung का! युवाओं की पहली पसंद बने ये फोन

What will happen to Apple and Samsung now? These phones have become the first choice of youth
What will happen to Apple and Samsung now? These phones have become the first choice of youth
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oungsters Like Feature Phones: लगातार फोन चलाने से होने वाली परेशानियों से बचने के लिए आजकल ज्यादातर युवा सादा फोन्स को पसंद कर रही है. यह फोन उन युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं जो अपने स्मार्टफोन को छोड़कर फीचर फोन इस्तेमाल करना चाहते हैं. “द बोरिंग फोन” नाम का एक नया फोन हाल ही में चर्चा में आया है. यह फोन अप्रैल में मिलान डिजाइन वीक में लॉन्च हुआ था. इसे हेंनेकेन बीयर और फैशन रिटेलर बोडेगा ने मिलकर बनाया है.

दरअसल, युवाओं को लगता है कि एंडवांस फीचर्स के साथ आने वाले लेटेस्ट फोन्स उनका ध्यान भटका रहे हैं और तनाव पैदा कर रहे हैं. इसी सोच की वजह से पुराने जमाने की चीजों का फिर से चलन बढ़ रहा है, जिसे न्यूट्रो ट्रेंड कहते हैं. न्यूट्रो ट्रेंड में पुरानी विनाइल रिकॉर्ड्स, कैसेट्स, 8-बिट वीडियो गेम्स और पुराने फोन काफी पसंद किए जा रहे हैं.

फ्लिप फोन की वापसी
स्मार्टफोन से पुराने जमाने के फीचर फोन पर को पसंद किए जाने के ट्रेंड के चलते Nokia 3310 को 2017 में फिर से लॉन्च किया गया था. असल में ये चलन पिछले साल अमेरिका में शुरू हुआ था. इसकी एक बड़ी वजह टिकटॉक पर #bringbackflipphones हैशटैग चलाने वाले टिकटॉकर्स थे. नोकिया को फिर से लॉन्च करने वाली कंपनी HMD ने देखा कि अप्रैल 2023 तक उनके फ्लिप फोन की बिक्री दोगुनी हो गई. वहीं, Punkt जैसी कंपनियों ने भी जो फीचर फोन या मिनिमलिस्ट फोन बनाती हैं, उनकी बिक्री में भी बढ़ोतरी देखी गई है.

Apple और Samsung का क्या होगा?

फीचर फोन्स को ज्यादा पसंद किए जाने से Apple और Samsung जैसे बड़े स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों का क्या होगा? रिसर्च फर्म मिन्टेल के टेक्नोलॉजी एनालिस्ट जो बर्च का कहना है कि अभी के लिए एप्पल और सैमसंग को कोई खतरा नहीं है. अभी भी 10 में से 9 फोन स्मार्टफोन ही बिकते हैं और फीचर फोन एक खास वर्ग के लिए ही हैं. लेकिन ये भी सच है कि आजकल के युवा अपना स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का तरीका बदल रहे हैं. वे हमेशा ऑनलाइन रहने के नुकसान को लेकर चिंतित हैं. रिसर्च कंपनी GWI के अनुसार 5 में से 3 युवा कम समय के लिए ऑनलाइन रहना चाहते हैं.

एक रिसर्च संस्थान पोर्टुलन्स इंस्टीट्यूट का कहना है कि युवाओं के ऑनलाइन कम आने की एक वजह प्राइवेसी को लेकर उनकी चिंता भी है. यंगस्टर्स को इस बात का डर है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या सरकार उनकी जानकारी चुरा लेगी. युवा के इस बदलाव से पुरानी टेक्नॉलजी फिर से चलन में आ सकती है. हालांकि आजकल के दौर में पूरी तरह ऑफलाइन रहना मुश्किल है क्योंकि शिक्षा, हेल्थकेयर, फाइनेंस जैसी जरूरी सेवाएं अब ऑनलाइन ही मिलती हैं.