जींस में छोटी पॉकेट क्यों होती है? वजह जान रह जाएंगे हैरान, लड़कों से जुड़ा है सीक्रेट

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फैशन हमेशा समय के साथ बदलता रहा है. पहले जहां लोगों को चौड़ी मोहरी वाले बेल बॉटम पसंद थे, वहीं अब लोगों को पतली मोहरी वाले पैंट पसंद हैं. पहले चौड़ी और बड़ी कॉलर वाली शर्ट फैशन में थीं, तो आज वे शर्ट आउट ऑफ फैशन हैं. बस फैशन से एक चीज जो आउट ऑफ फैशन नहीं हुई वो है जींस (Jeans). हालांकि समय के साथ जींस की डिजाइन, लुक, मटेरियल में बदलाव देखने मिले. जींस हर इंसान की पहली पसंद होता है. दोस्तों के साथ घूमने जाना हो या फिर कॉलेज जाना हो, सबसे पहले जिस आउटफिट का नाम आता है, वो भी जींस है.

साधारण सा दिखने वाली जींस का इतिहास काफी इंटरेस्टिंग है. जींस में छोटी पॉकेट क्यों होती है? जींस में छोटी पॉकेट क्यों होती है? ऐसे कई सवाल हैं, जिनके बारे में आपने शायद पहले कभी नहीं सोचा होगा. तो आइए आज जींस के इतिहास के साथ कुछ ऐसे सवालों के जवाब भी जान लीजिए.

जींस का इतिहास (History and invention of jeans)
जिस पैंट को हम आज जींस कहते हैं, उसका पुराना नाम Waist overalls है. रिपोर्ट के मुताबिक, जींस का आविष्कार लातविया (यूरोप) के जैकब डेविस (Jacob Davis) ने किया था. वे 1800 के दशक के अंत में सोना ढ़ूंढ़ने के लिए अमेरिका गए थे. उन्हें वहां सोना तो नहीं मिला लेकिन उन्होंने कुछ नया करने का सोचा. उन्होंने सोने की खान के तंबू बनाने में प्रयोग होने वाले मोटे कपड़े से पैंट बनाने का विचार किया. यह मोटा कपड़ा बहुत मजबूत और हल्का था. यह कपड़ा पहली बार जेनोआ (इटली) में बनाया गया था इसलिए उसे ‘जीन’ कहा जाता था. जैकब ने पहली बार जर्मनी के 23 वर्षीय एक अप्रवासी लेवी स्ट्रॉस (Levi Strauss) से यह कपड़ा खरीदा था और उससे जींस बनाई.

डेविस ने जब यह पैंट बनाई तो समय के साथ उसे पॉपुलैरिटी मिलने लगी. इसके कुछ समय बाद डेविस और स्ट्रॉस सेना में शामिल हो गए और लेवी स्ट्रॉस एंड कंपनी बनाई. इसके बाद 20 मई 1873 को दोनों ने अपने नीली जींस को पेटेंट कराया. जींस के आविष्कार के लगभग 70 साल बाद जींस में तब नयापन आया, जब अमेरिका के यंगस्टर्स ने उसे पहनना शुरू किया. धीरे-धीरे जींस हर वॉर्डरोब का हिस्सा बन गया.

धीरे-धीरे जींस की डिजाइन में कई बदलाव शुरू हुए. जैसे, स्ट्रॉस ने और मजबूती के लिए जींस में नारंगी सिलाई भी शुरू की और उस जींस को लेवी के रूप में पहचाना गया. इसके बाद 1922 में बेल्ट लूप दिखाई दिए, 1954 में जिप्पर स्टाइल बदल गई. लेकिन जब 1890 में स्ट्रॉस और डेविस का जींस पर से पेटेंट समाप्त हो गया, तो अन्य कंपनियां मार्केट में आईं. OshKosh B’Gosh ने 1895 में जींस मार्केट में एंट्री ली, 1904 में ब्लू बेल (रैंगलर), 1911 में ली मर्केंटाइल ने अपने जींस बनाने शुरू किए.

जींस की छोटी पॉकेट को वास्तव में वॉच पॉकेट कहा जाता है क्योंकि यह मूल रूप से पुरुषों के लिए अपनी पॉकेट में घड़ियों को रखने के लिए बनाई गई थी. लेवी स्ट्रॉस ब्लॉग के अनुसार, मूल रूप से नीली जींस की एक जोड़ी पर पहले केवल 4 पॉकेट थे, जिसमें 1 पॉकेट पीछे, 2 सामने और 1 वॉच पॉकेट. समय के साथ इस पॉकेट को कई नामों से जाना गया. जैसे: फ्रंटियर पॉकेट, कंडोम पॉकेट, कॉइन पॉकेट, मैच पॉकेट और टिकट पॉकेट.

स्ट्रॉस और डेविस ने शुरू में जींस के 2 प्रकार के कपड़े ब्राउन डक और ब्लू डेनिम में बनाया था. जेब को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तांबे की रिवेट्स उस समय से लगना शुरू हुई थीं, जब खान में मजदूर जींस पहनते थे. उनकी शिकायत थी कि उनकी जेब बार-बार फट जाती है. इसके बाद उनकी समस्या का समाधान करने और जेब को बार-बार फटने से बचाने के लिए जींस में तांबे की रिवेट्स लगानी शुरू हुईं.

दुनिया की सबसे महंगी जींस (World’s most expensive jeans)
मार्केट में हजारों-लाखों रुपये की जींस मौजूद हैं. लेकिन अगर दुनिया की सबसे महंगी जींस की बात की जाए तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, सबसे कीमती जींस 155 साल पुरानी Levis 501 जींस का पेयर है. इस जींस को ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर बोली लगाकर 2005 में 60 हजार डॉलर यानी लगभग 4.60 लाख में खरीदा था.