बिहार में अधिकारी का कारनामा,पावर मिलते ही पहला चेक किया सास के नाम

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अररिया: फारबिसगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार झा ने ससुराल प्रेम दिखाते हुए दमाद का धर्म भी निभा दिया। फारबिसगंज नगर परिषद में ईओ के पद पर काबिज होने और वित्तीय प्रभार मिलने के साथ ही नियम के खिलाफ सास के नाम पर आवास योजना का पहला चेक काट दिया। ईओ साहब के ससुराल का आवास बने होने की शिकायत के कारण इससे पहले तैनात ईओ जयराम प्रसाद ने आवास योजना की दूसरी किस्त का चेक रोक दिया था।

नियम के खिलाफ सास के नाम एक लाख रुपए का चेक
नगर परिषद के जानकारों की मानें तो आवास योजना का चेक संचिका और एडवाइस में आवास प्रभारी का हस्ताक्षर होने के बाद ही ईओ चेक काट सकते हैं। लेकिन ससुराल के प्रति वफादारी दिखाने के चक्कर में दीपक झा ने नियम को ताक पर रखकर चेक काट दिया। जिसे जानकार नियम के विपरीत करार दे रहे हैं। इतना ही नहीं आवास प्रभारी का विभाग भी रातोंरात बदल दिया गया। उन्हें सफाई प्रभारी बना दिया गया। तत्कालीन आवास प्रभारी शिवशंकर तिवारी ने मामले को लेकर खुद भी अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने यूनियन बैंक के पंकज से जानकारी मिलने की बात कही। बैंककर्मी पंकज ने उन्हें बताया कि वार्ड संख्या 13 के रामसेवक मिश्रा की पत्नी कामिनी मिश्रा के नाम से एक लाख रुपए का चेक आया है।

कामिनी मिश्रा की पहले से मकान होने की वजह से लगी थी रोक
फारबिसगंज नगर परिषद के पूर्व ईओ जयराम प्रसाद से पहले के ईओ दीपक कुमार के समय कामिनी मिश्रा को आवास योजना का लाभ दिया गया था। बकायदा पहली किस्त की राशि भी आवंटित कर दी गई थी। उसके बाद कामिनी मिश्रा समेत अन्य लोगों के पहले से बने मकान के नाम पर आवास योजना का लाभ दिए जाने की लगातार शिकायत मिली। मीडिया की सुर्खी और आंदोलन के बाद ऐसे लोगों की अगली राशि पर रोक लगा दी गई। मगर नव पदस्थापित ईओ दीपक कुमार झा ने तैनाती के एक सप्ताह भी नहीं बीता और पहला चेक अपनी सास कामिनी मिश्रा के नाम से काट दिया।

एक्जीक्यूटिव ऑफिसर ने स्थल जांच कर चेक काटने की कही बात
मामले पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार झा ने स्वीकार किया कि एक चेक वार्ड संख्या 13 के लाभुक कामिनी मिश्रा के नाम से काटा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्थल निरीक्षण किया था। जो फोटो दिया गया था, वो पहले से ही एप्रूव्ड है। स्थल निरीक्षण में सारी अहर्ता पूरी पाई गई। उन्होंने कहा कि अगर त्रुटि रहती तो पहली ही किस्त नहीं दी जाती। जब पहली किस्त दी गई तो उन्होंने दूसरी किस्त जारी कर दी।

EO का ससुराल प्रेम से दूसरे कर्मचारी भी अचरज में
पद पर आसीन और वित्तीय प्रभार मिलने के साथ ही सास के नाम से नियम को धत्ता बताकर चेक काटे जाने से नगर परिषद के कर्मचारी भी अचरज में हैं। ईओ के करतूत पर सवाल खड़े होने लगे हैं। इससे पहले भी टैक्स के रूप में वसूली गई राशि को जमा नहीं होने के वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया था। जिसकी जांच के लिए मुख्य पार्षद चंदा जायसवाल ने तत्काल तत्परता दिखाई थी। लेकिन समय के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उल्टे आरोपी कर्मचारियों को अब मलाई वाले प्रभार सौंप दिया गया।