हरियाणा के मौसम में बड़ा बदलाव, इन शहरों में आंधी और बूंदाबांदी

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करनाल। मौसम ने बुधवार सुबह अचानक करवट ली। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कहीं धूलभरी आंधी तो कहीं पर बूंदाबांदी शुरू हो गई। कुरुक्षेत्र, करनाल के कुछ हिस्सों तथा एनसीआर में धूल भरी आंध के बाद बूंदाबांदी देखने को मिली, जिससे तापमान में गिरावट आ गई है। भीषण गर्मी की मार झेल रहे लोगों को राहत मिली है। दिन के तापमान में गिरावट के और तेज हवा चलने से लोगों ने राहत की सांस ली। मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले 24 घंटे में मौसम साफ रहेगा। लेकिन 24 मई तक मौसम में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी रह सकता है। कभी धूलभरी हवा तो कभी बूंदाबांदी हो सकती है। बीच-बीच में चिलचिलाती धूप भी परेशान करती रहेगी। उमस भरी गर्मी भी साथ में झेलने के लिए तैयार रहना होगा।

दक्षिण-पश्चिम मानसून अपने निर्धारित समय से लगभग एक सप्ताह पहले 16 मई को अंडमान सागर के ऊपर एक धमाके के साथ पहुंचा था। निकोबार में 2 दिनों में 100 मिमी से अधिक की बारिश हुई। पूरे अंडमान सागर और दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी के अधिक भागों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। मानसून 26 मई के आसपास केरल की मुख्य भूमि पर पहुंचने की ओर बढ़ रहा है, जो कि 01 जून की सामान्य तारीख से काफी पहले है।

यह 2009 के बाद से सबसे पहले शुरू होने की संभावना है, जब यह 23 मई को केरल तट से टकराया था। संयोग से, वर्ष 2009 एक अल नीनो वर्ष था और भारतीय उपमहाद्वीप में भीषण सूखे का परिणाम मानसून ने बुरी तरह प्रभावित किया। अगले तीन दिनों में केरल, तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और तमिलनाडु के अंदरूनी इलाकों में शक्तिशाली और व्यापक प्री-मानसून गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। अगले तीन दिनों में कुछ स्थानों पर बहुत भारी वर्षा और कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 2 से 3 दिनों के दौरान दक्षिण बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों, पूरे अंडमान सागर, अंडमान द्वीप समूह और पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। तमिलनाडु तट के पास दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।

एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र लक्षद्वीप और इससे सटे दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के ऊपर बना हुआ है। एक टर्फ रेखा पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश से विदर्भ और आंतरिक कर्नाटक होते हुए उत्तर आंतरिक तमिलनाडु तक फैली हुई है। एक और टर्फ रेखा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से झारखंड तक निचले स्तर पर बनी हुई है। पंजाब से सटे इलाके में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।