यूपी के 21 जिले लंपी वायरस की चपेट में, 12000 पशुओं की…

21 districts of UP in the grip of lumpi virus, 12000 animals...
21 districts of UP in the grip of lumpi virus, 12000 animals...
इस खबर को शेयर करें

लखनऊ। कई राज्यों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) वायरस ने उत्तर प्रदेश में भी जबरदस्त ढंग से पशुओं को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। प्रदेश के 21 जिलों में लंपी के 12,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। 85 से ज्यादा पशुओं की मौत भी हो चुकी है। लंपी प्रभावित सभी जिलों में अलर्ट करते हुए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।

एलएसडी वायरस गाय और भैंसों में तेजी से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है जिसने हरियाणा, राजस्थान, गुजरात आदि राज्यों में कहर बरपा रखा है। अब उप्र में भी इसने तेजी से पशुओं को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। समय से अलर्ट होने के बावजूद भी प्रदेश में 12,000 से ज्यादा पशुओं में एलएसडी मिला है।

हालांकि इससे प्रभावित पशुओं की मृत्युदर काफी कम है लेकिन जरा सी लापरवाही यूपी में भी अन्य राज्यों की तरह ही पशुओं में इसका भयानक असर दिखा सकती है। इस बीमारी में पशु की त्वचा पर गांठें हो जाती हैं। त्वचा खराब हो जाती है। दुधारू पशु में दूध क्षमता कम होना, पशुओं में कमजोरी, बांझपन, गर्भपात, पशुओं के बच्चों में कम विकास, निमोनिया, पेरिटोनिटिस, लंगड़ापन या मौत हो सकती है।

इन 21 जिलों में मिले लंपी के केस
मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, हापुड़, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बिजनौर, बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, अलीगढ़, हाथरस, एटा, मथुरा, फिरोजाबाद

अगस्त माह के पहले सप्ताह में ही केस शुरू हुए थे
अगस्त माह के पहले सप्ताह में ही यूपी में लंपी के केस आने शुरू हो गए थे। अलर्ट भी किया गया पर शुरुआती दौर में सुस्ती दिखाई गई। उसका असर यह रहा कि मामले बढ़ते चले गए। अब 21 जिले इससे प्रभावित हो चुके हैं। अगस्त माह के आखिरी सप्ताह में इसका टीकाकरण शुरू किया गया। सोमवार तक प्रदेश में 31,900 पशुओं में टीककरण किया गया। खास बात यह है कि टीकाकरण स्वस्थ पशुओं में किया जाता है।

केंद्र की मंजूरी से वैक्सीन मिली, प्रदेश का टेंडर अभी नहीं खुला
इस बाबत 17.05 लाख गॉट पॉक्स वैक्सीन (लाइव एटेन्यूसड वायरस वैक्सीन) आकस्मिक रूप से मंगाई गई है। केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दी है और इसका टीकाकरण शुरू हो गया है। प्रदेश सरकार ने तो अभी अपने स्तर पर वैक्सीन खरीदी ही नहीं है। 31 अगस्त को इसका टेंडर खुलना है।

इस कारण फैलता है यह रोग
यह रोग मच्छरों, मक्खियों एवं जूं के सीधे संपर्क में आने से पशुओं में फैलता है। दूषित दाने, पानी से भी यह फैल सकता है। संक्रमित पशु में कई बार दो से पांच सप्ताह तक लक्षण नहीं दिखते और फिर अचानक यह रोग नजर आ जाता है।

लंपी बीमारी के लक्षण
पशु को भूख कम लगने लगती है। उसके शरीर का तापमान 106 डिग्री फॉरेनहाइट, चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें, फेफड़ों में संक्रमण के कारण निमोनिया, पैरों में सूजन, लंगड़ापन, नर पशु में काम करने की क्षमता में कमी आ जाती है।

नियंत्रण के उपाय
मक्खी, मच्छर, जूं आदि को खत्म करें। प्रभावित पशु को अलग करें। बीमारी ग्रस्त पशु की मृत्यु होने पर उसे खुला न छोड़ें। उसके जमीन में दबा दें और पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं से सफाई करें।

सरकार ने ये किए हैं उपाय
लंपी पर रोक के लिए सरकार ने टीम-9 का गठन किया है। बार्डर पर दूसरे राज्यों से पशुओं के आवागमन पर रोक लगाई गई है। नोडल अधिकारियों को मंडलों में भेजा गया है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी के नेतृत्व में टीमें बनी हैं जो गांव गांव जा रही हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों के साथ पैरावेट्स और गो-सेवकों को भी विशेष प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। विभाग के सभी अधिकारियों कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं।