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Parents make mistakes: हर पेरेंट्स अपने बच्चे का बेहतर भविष्य चाहते हैं. उसके लिए वो बच्चे की पर्वरिश में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. बच्चा छोटा हो या बड़ा उसके पेरेंट्स उसको सफल होते हुए ही देखना चाहते हैं. लेकिन जाने अनजाने में पेरेंट्स से कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं जो बच्चों पर गलत असर कर जाती हैं. ऐसा नहीं है कि ये गलतियां वो जानबूझकर करते हैं, ये गलतियां उनकी पर्वरिश का ही हिस्सा होता है. ऐसे में आईये जानते हैं कि पेरेंट्स से जाने अनजाने में कौन-कौन सी गलतियां होती हैं.
बच्चों को ताने मारना
आम तौर पर पेरेंट्स बच्चों पर ताना मारते हैं और ताना मारने की वजह ज्यादातर बच्चों की भविष्य को लेकर ही होता है. जिसमें पेरेंट्स ये समझते हैं कि ताना मारने से बच्चों में सुधार होगा, लेकिन एक शोध में ये पता चला है कि पेरेंट्स का बच्चों को ताना मारना उनका आत्मविश्वास को कम करता है. ऐसे में बच्चे अपने ही पैरेंट्स से डरने लगते हैं और कोई भी बात करने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं.
बच्चों पर अपना गुस्सा उतारना
कई बार पैरेंट्स का काम करते करते या काम के दबाव होने से दिमाग उलझ जाता है या घर के बाहर हुए कुछ इंसिडेंट कि वजह से या फिर और भी किन्हीं कारणों से उनका दिमाग फ्रस्टेट हो जाता है. ऐसे में बहुत से पैरेंटस अपने बच्चों पर ही सारा फ्रस्टेसन उतार देते हैं. पैरेंट्स डांटकर या बेवजह मारकर अपना गुस्सा उतारते हैं, आपको बता दें इसका बच्चों पर बहुत गलत असर पड़ता है. ऐसे में बच्चे अपने पैरेंट्स से बेवजह डरने लगते हैं जो उनके बचपन का ट्रामा बनकर रह जाता है.
आपसी झगड़ों में बच्चों को शामिल करना
कई बार ऐसा होता है कि पेरेंट्स घर के झगड़ों में बच्चों को शामिल करने लगते हैं. ये झगड़े पति-पत्नी के बीच हों या परिवार के किसी भी मेंबर के बीच में हो इसमें बच्चों को शामिल बहुत गलत है इसका बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है. इन झगड़ों में बहुत से गलत वाक्यों और शब्दों का प्रयोग होता है जो बच्चों के मन पर गलत प्रभाव डालता है. ऐसा भी होता है कि बच्चे खुद ही इन झगड़ों में हिस्सा लेने लगते हैं जो अपने आप में ही गलत है. ऐसे में पैरेंट्स को खुद बच्चों को समझाकर इन झगड़ों से दुर रखना चाहिए.
बच्चे को चिढ़ना
अक्सर ऐसा होता है कि पेरेंट्स बच्चों को उलटे-सीधे नामों से संबोधित करते हैं. कई बार ऐसा वे मजाक में करते हैं लेकिन ये चीजें बच्चों पर नकारात्मक रूप से गहरा असर करती हैं. ऐसा करने से बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है, जो उनके दिमाग पर गलत असर करता है. इसलिए बच्चों को उनके नाम से ही संबोधित करें और उन नामों से बिल्कुल संबोधित न करें जो उनकी कमियों को दर्शाता है.
बच्चों को और बच्चों से तुलना करना
पेरेंट्स का नेचर बहुत कॉमन होता है कि वे अपने बच्चों का दुसरे बच्चों से तुलना करते हैं. ऐसा करना पूरी तरीके से गलत नहीं है अगर हेल्दी तरीके से किया जाए तो ये बच्चों के विकास में मदद करता है. लेकिन अक्सर पैरेट्स का दूसरे बच्चों से तुलना करना बच्चों को ताना मारने में बदल जाता है, जो बच्चों पर गलत प्रभाव डालता है. इसलिए जितना हो सके अपने बच्चों को दुसरे बच्चों से तुलना करने से बचें क्योंकि हर बच्चा अपने आप में अलग होता है और उसकी अपनी क्वालिटी होती है.
बच्चों को लेकर भविष्यवाणी न करें
कई बार ऐसा होता है कि बच्चों के गलती होने पर पेरेंट्स बच्चों के बारे में गलत भविष्यवाणी करना लगते हैं, ऐसा करना के पीछे उनका इंटेंसन बच्चों का भविष्य खराब करना नहीं होता है लेकिन ये छोटी-छोटी चीजें बच्चों पर गलत प्रभाव करती हैं. जैसे आपने अक्सर पैरेंट्स को ये कहते सुना होगा कि ‘तुमसे ये छोटा सा काम नहीं हो पाया, तुम भविष्य में क्या ही कर पाओगे’. ऐसा बोलने से बच्चों का सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होता है जो बच्चों को अपने भविष्य के निर्णय लेने पर नकारात्मक प्रभाव डालता है.