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पिथौरागढ़: भारत-नेपाल सीमा पर एक बार फिर बवाल मचा है। इस बार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित बॉर्डर पर विवाद गहरा गया है। यहां रविवार, 4 दिसंबर की शाम नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव किया गया। जिससे कई मजदूरों को चोटें आईं। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया है। पिथौरागढ़ के धारचूला में नेपाल की तरफ से पत्थरबाजी की घटनाओं के विरोध में ट्रेड यूनियन ने भारत-नेपाल को जोड़ने वाले पुल को बंद कर दिया था। जिससे पिथौरागढ़ के धारचूला से होकर दोनों देशों के बीच होने वाली आवाजाही बंद हो गई थी। हालांकि बाद में अधिकारियों के समझाने पर पुल खोल दिया गया है। इधर भारतीय अधिकारी ने नेपाल सरकार को घटना की जानकारी देते हुए पथराव करने वालों पर पर सख्त कदम उठाने की मांग की है।
काली नदी पर तटबंंध निर्माण का विरोध कर रहे नेपाली
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला इलाके में काली नदी पर भारतीय मजदूर तटबंध का निर्माण कर रहे थे। इसी निर्माण को लेकर ये विवाद बताया जा रहा है। इस निर्माण का नेपाली नागरिक विरोध कर रहे हैं। रविवार शाम जब भारतीय मजदूर तटबंध निर्माण के काम में जुटे थे, तभी नेपाल की ओर से पथराव की घटना हुई। जिसमें कई मजदूर चोटिल हो गए।
मजिस्ट्रेट बोले- पथराव करने वालों पर सख्त कदम उठाए नेपाल
घटना की पुष्टि करते हुए धारचूला के संयुक्त मजिस्ट्रेट दिवेश शशानी ने कहा कि हमने नेपाल प्रशासन को बता दिया था कि आपको पत्थरबाजी करने वालों के खिलाफ सख़्त कदम उठाना पड़ेगा। दिवेश शशानी ने भारत-नेपाल सीमा पर हुए पथराव के बाद गुस्साएं लोगों को समझाते हुए नजर आए। जिसके बाद दोनों देशों को जोड़ने वाला पुल खोल दिया गया है।
कार्रवाई नहीं हुई तो फिर से बंद किया जाएगा पुल
इस घटना पर अभी तक नेपाल की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इधर धारचूला व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष भूपेंद्र थापा ने कहा कि हम लोगों ने संयुक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया है। नेपाल की तरफ से हमारे स्थानीय लोगों को जिस तरह बेरहमी से पीटा गया है, उसका हमने विरोध किया है। प्रशासन ने 3 दिन का समय मांगा है, अगर कार्रवाई नहीं हुई तो फिर से पुल बंद किया जाएगा।