मुख्‍तार की मौत के बाद 14 सेकेंड की कॉल ने मचाया हड़कंप, बांदा जेल के अधीक्षक को मिली धमकी

After Mukhtar's death, 14-second call created a stir, Banda jail superintendent received threat
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Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के पांच घंटे बाद बांदा जेल के वरिष्ठ अधीक्षक को हत्या की धमकी दी गई। यह कॉल देहरादून के एसटीडी कोड वाले लैंडलाइन नंबर से की गई। 14 सेकेंड की कॉल में उन्हें गाली देते हुए कहा गया, ‘अब तुझे ठोकना है, बच सके तो बच..।’

वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने शहर कोतवाली में अज्ञात धमकी देने वाले पर रिपोर्ट दर्ज कराई है। धमकी की सूचना से जेल और पुलिस महकमों में हड़कंप है। वीरेश शर्मा की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जांच एसटीएफ को सौंप दी गई है। 28 मार्च की शाम 8.25 बजे मुख्तार अंसारी की रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। वीरेश शर्मा के मुताबिक उसी रात 1:37 बजे उनके सीयूजी नंबर पर 0135-2613492 नंबर से कॉल आई। रिसीव करते ही कॉल करने वाले ने गाली देते हुए कत्ल की धमकी दी गई। उन्होंने धमकी का ऑडियो देते हुए कोतवाली में धारा 504 और 507 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई है।

मुख्तार की मौत की जांच के लिए शीर्ष कोर्ट में अर्जी दी

पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की न्यायिक हिरासत में मौत की जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक अर्जी दाखिल की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई को उत्तर प्रदेश में 2017 से पुलिस हिरासत / न्यायिक हिरासत में कैदियों और आरोपियों की मौतों, हत्याओं और मुठभेड़ों की जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

अधिवक्ता वकील विशाल तिवारी ने यह अर्जी सुप्रीम कोर्ट में पहले से लंबित अपनी रिट याचिका में दाखिल की है। लंबित रिट याचिका में उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ में हुई मौतों की जांच की मांग की गई है। तिवारी ने अपनी अर्जी में 28 मार्च को मुख्तार अंसारी की मौत के बारे में संदेह जताया है और इसकी जांच कराने की मांग की है। अंसारी का बांदा के एक अस्पताल में निधन हो गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हृदय गति रुकना बताया गया है। अंसारी की मौत के बाद उनके परिवार ने संदेह जताया है और आशंका जाहिर की है कि उनकी मौत जेल में धीमे जहर देने के कारण हुई है।

तिवारी ने मीडिया में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछले 7 सालों में उत्तर प्रदेश पुलिस हिरासत में 10 गैंगस्टरों की मौत हो गई है और उनमें से सात की मौत गोलियों से तब हुई, जब उन्हें अदालत की सुनवाई या स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया जा रहा था। विशाल तिवारी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका बाहुबली नेता अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की पुलिस हिरासत में तीन हमलावरों द्वारा हत्या की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन करने की मांग की है।

उक्त याचिका में प्रदेश में 2017 के बाद से 183 मुठभेड़ों की जांच की मांग की है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने और फर्जी मुठभेड़ों/हत्याओं से संबंधित सभी 183 मामलों में जांच या मुकदमे के चरण के बारे में रिपोर्ट देने को कहा था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पुलिस महानिदेशक ने शीर्ष अदालत के उक्त आदेश का पूरी तरह से पालन नहीं किया है।

नंबर काम नहीं कर रहा
पुलिस नंबर समेत कई सुरागों के आधार पर जांच कर रही है। नंबर फिलहाल काम नहीं कर रहा है। उधर देहरादून पुलिस ने बीएसएनएल से जानकारी मांगी है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में इसी नंबर से कॉल की गई या किसी एप के जरिए यह नंबर डिस्प्ले कर किसी और माध्यम से धमकी भरी कॉल की गई।