पटना. राजधानी पटना समेत बिहार के कई शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के साथ ही उस पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए कई जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. पटना नगर निगम ने विभाग और कई एजेंसी के साथ बैठक कर विभिन्न दिशा-निर्देश दिए हैं. निगम की ओर से लगातार निरीक्षण कर ऐसे भवनों और निर्माण स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है, जो ग्रीन पट्टी का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इधर, सीवान वायु प्रदूषण के मामले में बिहार की राजधानी को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में सीवान शहर का वायु प्रदूषण स्तर है. सीवान में आइक्यूए 300 के पार पहुंच चुका है.
पटना नगर निगम ने लिया एक्शन
पटना नगर निगम की बैठक के दौरान नगर आयुक्त ने सभी सरकारी और निजी एजेंसी को 48 घंटे का समय दिया है. इस दौरान सड़क पर से न सिर्फ कंस्ट्रक्शन की सामग्री हटा लेनी है, बल्कि ग्रीन पट्टी के साथ ही निर्माण कार्य को करना है. नगर आयुक्त ने कहा है कि समय अवधि के बाद नगर निगम की टीम निरीक्षण करेगी. जो दोषी पाए जाएंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा और काम भी बंद करवा दिया जाएगा. नगर आयुक्त ने कहा कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पटना नगर निगम के तरफ से लगातार दो बार वॉटर स्प्रिंकलर और एंटी स्मोक गण के द्वारा पानी का छिड़काव किया जा रहा है. अब इसे 2 बार से बढ़ा कर 3 शिफ्ट में किया जाएगा.
क्या करने पर होगी कार्रवाई
वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बैठक में महत्वपूर्ण बिंदू साझा किए गए. जिसमें कंस्ट्रक्शन कंपनी या एजेंसी ग्रीन मेस अनिवार्य रूप से लगायें, निर्माण सामग्री रोड पर या रोड साइड में ना जमा करें. आमजनों द्वारा सड़क पर कूड़ा न फेंका जाए, धूल को नियंत्रित करने के लिए स्प्रिंकलर का उपयोग दिन में तीन बार किया जाए, आम जनों द्वारा कूड़े को न जलाया जाए. बिना ढ़के निर्माण सामग्री के गाड़ी का भी आवागमन न हो. सोमवार शाम हुई बैठक के दौरान बुडको, भवन निर्माण विभाग, पथ निर्माण विभाग, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम, सहित कई विभाग और एजेंसियों के पदाधिकारी उपस्थित रहे.
बदतर हुई सीवान जिले की हवा, लोग लगातार हो रहे प्रभावित
इधर, सीवान में वायु प्रदूषण के मामले में पटना को मात दे रहा है. पटना से ज्यादा खतरनाक हालत में जिले का वायु प्रदूषण स्तर है. वातावरण में बढ़ रही नमी व धूलकण मिलकर वायु को काफी सघन बना दे रहे हैं. जिससे प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जा रही है. इस तरह की स्थिति पूरे मौसम में बनी रहने की उम्मीद है. मौसम में सुधार के बाद ही जिला वासियों को प्रदूषण से राहत मिल सकती है. मंगलवार को जिला का एयर क्वालिटी 302 रिकार्ड किया गया, जबकि 250 से अधिक एक्यूआइ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होना बताया जाता है. वहीं राजधानी पटना में एयर क्वालिटी 300 के आसपास है.
शहर में बड़े कल कारखाने नहीं
यहां कोई बड़े कल कारखाने नहीं है. फिर भी यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स इतना हाई है. विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी के समय ठंड के चलते वातावरण का बाउंड्री लेयर नीचे आ जाता है. गर्मी के समय यह डेढ़ दो किलोमीटर तक की ऊंचाई पर रहता है. सर्दी में यह एक किलोमीटर से नीचे आ जाता है. वहीं हवा की रफ्तार कम भी हो जाती है. इसके चलते स्थानीय स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषण इसी में फंसकर रह जाते हैं. इसके चलते हवा प्रदूषित हो रही है.बढ़ रही जहरीली हवा मानव जीवन के लिए जानलेवा हो सकती है.
पेड़ों की कटान से भूमंडल में बढ़ रहा प्रदूषण
पर्यावरण विशेषज्ञ ब्रजकिशोर यादव का मानना है कि पेड़ों की तेजी से हो रही कटान और नये पौधों का रोपण न होने से भूमंडल में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है. हवा में घुले इस जहर से गंभीर बीमारियां भी तेजी से पांव पसार रही है. हर दस में नौ लोग दूषित हवा में सांस ले रहे है. यही वजह है कि श्वास जनित बीमारियों से मौतें हो रही है. टीबी, दमा जैसी बीमारियों से लोग ग्रस्त होते जा रहे है. वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए हर व्यक्ति को अधिक से अधिक पौधारोपण की जरूरत है.
इन बीमारियों का रहता है खतरा
दूषित हवा से दमा के अलावा गले में दर्द, एलर्जी, निमोनिया, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, शुगर, चिड़चिड़ापन, बालों का झड़ना व समय से पहले बाल सफेद होना सामान्य हो चुका है. दूषित हवा कैंसर जैसी बीमारी को भी बढ़ा रही है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए पेड़ों की कटाई रोकने के साथ शहरी क्षेत्र में पलायन पर रोक लगाना जरूरी हो गया है. विशेषज्ञ का कहना है कि प्रदूषित वातावरण में रहने से दिल और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है. ऐसे में प्रदूषित हवा से बचना जरूरी है. लोगों को मास्क लगाकर ही बाहर निकलना चाहिए.
सुबह व शाम में बिगड़ रहे हालात
सुबह व शाम के वक्त जिले की हवा काफी खतरनाक लेवल पर पहुंच रही है. जिले की भौगोलिक बनावट के कारण प्रदूषण की समस्या बन रही है. यहां पर सुबह-शाम वातावरण में नमी काफी बढ़ जा रही है. नमी के साथ धूलकण मिल जाने से वायु की सघनता काफी बढ़ जा रही है. इससे एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर पर पहुंच जा रहा है. वहीं शहरी क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था मुक्कमल नहीं होने के चलते जिले के शहरी जाम की स्थिति बनी रहती है. सड़क जाम भी वायु की गुणवत्ता को बिगाड़ रहा है.
बढ़ रहा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
जिले में वायु प्रदूषण के जो हालात है, वह निश्चित तौर पर स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. वायु प्रदूषित होने से लोगों को फेफड़े की बीमारी होने का डर रहता है. अस्थमा होने का चांस बना रहता है. दूषित हवा से सांस संबंधी तमाम बीमारी होने का डर होता है. इसको लेकर जिलावासी काफी सक्रिय हैं. उनका कहना है कि सरकार को वायु प्रदूषण रोकने के लिए कड़े से कड़े कदम उठाना चाहिए.
सड़कों से उड़ रहे धूल समस्या का मूल कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि शहर सहित ग्रामीण सड़कों पर पड़ी धूलकण की परत प्रदूषण का मुख्य कारण है. अगर सड़कों से धूल की परत हटा ली जाये और बालू ढुलाई सही तरीके से की जाये तो प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है. इसके अलावा भवनों के निर्माण के दौरान भी नियमों का पालन करना अनिवार्य है. कुछ ईंट-भट्टे अभी भी परंपरागत रूप से संचालित किए जा रहे हैं. इस पर भी नियंत्रण की जरूरत है. खेतों में पराली व बायोमास जलाने की कुरीति नयी समस्या पैदा कर रही है. जिसके चलते एयर क्वालिटी गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है. प्रशासन द्वारा लोगों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. वहीं कृषि विभाग का सख्त आदेश है कि जो किसान पराली जलाते हुए पकड़े जायेंगे उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जायेगा.