सावधान ! बिहार के इन शहरों में सांस लेने से पहले 100 बार सोचिएगा, वरना स्थिति हो जाएगी ख़त्म

Attention ! Think 100 times before breathing in these cities of Bihar, otherwise the situation will end
Attention ! Think 100 times before breathing in these cities of Bihar, otherwise the situation will end
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पटना : बिहार की राजधानी पटना में स्वच्छ हवा का अभाव हो गया है। राजधानी की फिजां में सांस लेने वाले लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। डेंगू जैसे प्रकोप से दो चार हो रहे लोगों के लिए अच्छी खबर नहीं है। क्योंकि राजधानी की एयर क्वालिटी काफी खराब स्तर तक पहुंच गई है। बिहार के बाकी शहरों से भी कुछ ऐसी ही खबर आ रही है। मानसून के विदा होते ही वातावरण में डेंजर पार्टिकल तैरने लगे हैं। जिन शहरों की स्थिति खराब है उनमें सबसे टॉप पर मोतिहारी है। वहीं पटना की एयर क्वालिटी भी खराब हो गई है।

मोतिहारी में स्थिति खतरनाक
आपको बता दें कि खराब एक्यूआई वाले शहरों में बीमार लोगों को जीना दूभर हो जाता है। मोतिहारी में एयर क्वालिटी इंडेक्ट 242 है। वहीं दूसरी ओर बेतिया में 241 है। ये दोनों स्तर स्वास्थ्य के लिहाज से काफी डेंजर बताये जाते हैं। राजधानी पटना की एयर क्वालिटी भी खराब स्तर पर है। पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 178 तक पहुंच गया है। चिकित्सकों की मानें, तो लोगों को सावधान होने की जरूरत है। उन्हें मास्क का प्रयोग करना शुरू कर देना चाहिए। ऐसी एयर क्वालिटी में सांस लेने में तकलीफ होती है।

बिहार के शहरों की स्थिति खराब
बिहार के अन्य शहरों की एयर क्वालिटी की बात करें, तो दरभंगा में 227, मुजफ्फरपुर में 210, समस्तीपुर में 199, गोपालगंज में 191, हाजीपुर में 180, पटना में 178, पूर्णिया में 169, बेगूसराय में 166 और भागलपुर में 156 है। मानकों के मुताबिक देश में AQI को स्तर और रीडिंग के हिसाब से 06 कैटेगरी में बांटा गया है। 0-50 के बीच AQI का मतलब अच्छा यानि हवा पूरी तरह शुद्ध है। वहीं 51-100 के बीच मतलब वायु की शुद्धता को संतोषजनक माना जाता है। देश के कई शहरों का इंडेक्स 100 के आस-पास होता है। 100 से ज्यादा होने पर उसे शुद्धता के मानक पर मध्यम माना जाता है। वहीं 201-300 के बीच उसे डेंजर अथवा खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

प्रदूषण के मानक
आपको बता दें कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को 8 प्रदूषण कारकों के आधार पर तय किया जाता है। जिसमें PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, और NH3 पीबी होता है। 24 घंटे में इन कारकों की मात्रा ही हवा की गुणवत्ता तय करती है। हवा में जहरीले पार्टिकल के मिल जाने पर आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ जाती है। सांस लेते वक्त इन कणों को हमारे शरीर में जाने से रोकने का कोई सिस्टम नहीं है। बीमार लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। लगातार इन हवाओं के संपर्क में रहने से स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है।