चंडीगढ़: लोकसभा चुनावों के बीच दिल्ली से सटे हरियाणा में राजनीतिक उथल-पुथल सामने आई है। राज्य में नायब सैनी सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों के नाराज होकर अपने समर्थन वापस ले लिया है। इस विधायकों के साथ कांग्रेस का समर्थन करने का ऐलान किया है। तीन निर्दलीय विधायकों ने तो बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके अपने समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है।
यह सब ऐसे वक्त पर हुआ है जब राज्य में कुछ दो महीने पहले ही नेतृत्व परिवर्तन हुआ था। नायब सैनी सरकार से जिन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस लिया है। उनमें पुंडरी के विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर व चरखी दादरी के विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। हरियाणा के रोहतक में तीन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख उदयभान की मौजूदगी में बीजेपी सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की। इन विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया। तीन विधायकों के समर्थन वापस लेने से नायब सैनी सरकार अल्पमत में आ गई है।
कांग्रेस के समर्थन का ऐलान
नायब सैनी सरकार ने ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल किया था। निर्दलीय चार विधायकों ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया है। 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीटें जीती थी। कांग्रेस पार्टी को 31 सीटें मिलीं थी। 10 सीटों पर जेजेपी को जीत मिली थी। 7 सीटें निर्दलीयों के पास गई थी। एक सीट हरियाणा लोकहित पार्टी और 1 सीट इनेलो को मिली थी। वर्तमान में विधानसभा की दो सीटें खाली हैं। इनमें करनाल और रानिया सीटें हैं। करनाल सीट पर लोकसभा के साथ उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में वर्तमान में हरियाणा की विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 88 है। हरियाणा में छठवें चरण में लोकसभा चुनाव हैं। बीजेपी राज्य में सभी 10 सीटों पर लड़ रही है तो वहीं कांग्रेस नौ और आम आदमी पार्टी 1 सीट पर चुनाव मैदान में है।
विधानसभा का क्या है अंकगणित
हरियाणा विधानसभा के सदस्यों की संख्या | 90 |
विधानसभा में मौजूदा विधायकों की संख्या | 88 |
मौजूदा संख्या बल के हिसाब से बहुमत | 45 |
बीजेपी | 40 |
कांग्रेस | 30 |
जेजेपी | 10 |
हलोपा | 1 |
इनेलो | 1 |
निर्दलीय | 6 |