जोशीमठ भू-धंसाव पर एक्सपर्ट की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, ये 3 वजहें आई सामने

Big revelation in expert's report on Joshimath landslide, these 3 reasons came to the fore
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जोशीमठ; श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की समिति ने अपनी रिपोर्ट में दूसरा दावा यह भी किया है कि जोशीमठ की भूगर्भीय संरचना और भार धारण क्षमता से अधिक निर्माण से भी भू-धंसाव की स्थिति पैदा हुई. जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव का एक बड़ा कारण सामने आया है.श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की एक समिति की रिपोर्ट में जोशीमठ में हुए भू-धंसाव के कारणों का खुलासा हुआ है.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की तीन सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट में एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना के लिए सुरंग खोदाई से एक्वीफर (जलभर) में हुए पंचर (छेद) को जोशीमठ में हुए भू-धंसाव का बड़ा कारण माना गया है.

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की समिति ने अपनी रिपोर्ट में दूसरा दावा यह भी किया है कि जोशीमठ की भूगर्भीय संरचना और भार धारण क्षमता से अधिक निर्माण से भी भू-धंसाव की स्थिति पैदा हुई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में वर्तमान हालात को देखते हुए जोशीमठ की भार क्षमता को कम करने का सुझाव भी दिया है. श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की तीन सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट यह रिपोर्ट राज्यपाल, सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग को सौंपी गई है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की ओर से जोशीमठ में भू-धंसाव के कारणों के अध्ययन करने के लिए गठित की गई तीन सदस्यीय समिति में कला संकाय के डीन और भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. डीसी गोस्वामी, भूगोल विभाग के डॉ. श्रीकृष्ण नौटियाल और गोपेश्वर कैंपस के भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद भट्ट शामिल रहे. समिति ने 25 जनवरी से 28 जनवरी तक जोशीमठ में भू-धंसाव का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंप दी है.

एनटीपीसी को भी ठहराया जिम्मेदार
सोमवार को समिति के अध्यक्ष प्रो. डीसी गोस्वामी ने अध्ययन रिपोर्ट के बारे में बताया कि जोशीमठ की भूगर्भीय संरचना को देखें तो यह लंबे समय तक ग्लेशियर से ढका रहा. ग्लेशियर के मलबे और बड़े-बड़े बोल्डरों से जोशीमठ की सतह का निर्माण हुआ. उन्होंने बताया कि जोशीमठ की सतह और बोल्डरों की ढलान एक ही ओर है. समिति के अध्यक्ष प्रो. डीसी गोस्वामी ने बताया कि एनटीपीसी की सुरंग की खोदाई के दौरान एक्वीफर में पंचर हो गया, जिससे गांव तक जाने वाले जलस्त्रोत भी प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि जेपी प्रोजेक्ट के पास 580 लीटर प्रति मिनट से हुआ भूजल रिसाव इसका प्रमाण है.

फिलहाल भवनों को तोड़ना ही उपाय
समिति के सदस्य डॉ. श्रीकृष्ण नौटियाल ने बताया कि जोशीमठ की भार धारण क्षमता के अनुसार 25 मीटर से अधिक ऊंचाई के भवनों का निर्माण नहीं होना था. जबकि क्षेत्र में सात मंजिला भवनों का निर्माण कर दिया गया. उन्होंने कहा कि यह तीनों ही जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण हैं. उन्होंने कहा कि जोशीमठ की भार क्षमता को कम करने के लिए भवनों को तोड़ना और फिर से स्थापना ही फिलहाल उपाय है.

मुकुट की आकृति में आ रही हैं दरारें
समिति के सदस्य डॉ. श्रीकृष्ण नौटियाल ने बताया कि जोशीमठ में क्राउन (मुकुट) की आकृति में दरारें आ रही हैं. करीब आधा किलोमीटर लंबी दरारों की गहराई करीब 60 मीटर है. सबसे अधिक प्रभावित वार्ड नंबर 9 (मनोहर बाग) है. उन्होंने कहा कि 100 से 150 मकान भू-धंसाव की जद में हैं. यहां दरारें 500 मीटर लंबी और 2 फीट चौड़ी है.