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मुजफ्फरपुर: बस यात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेवारी चालकों पर होती है। ऐसे में उनका सेहतमंद रहना जरूरी है। लेकिन, बिहार के मुजफ्फरपुर में आयोजित स्वास्थ्य जांच कैंप में 68 फीसदी से अधिक सरकारी बस चालकों की नजर कमजोर मिली। कुछ में तो मोतियाबिंद की भी शिकायत पाई गई। परिवहन विभाग की ओर से चल रहे सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत इमलीचट्टी स्थित सरकारी बस स्टैंड में स्वास्थ्य सह नेत्र जांच शिविर की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। यह भी पता चला है कि यहां ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में मेडिकल जांच की खानापूर्ति की जाती है।
ड्राइवर ब्लड प्रेशर और डाइबिटीज ग्रसित भी
मौके पर निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. राकेश कुमार ने 87 चालकों व उप चालकों की आंखों की जांच की। इस दौरान 60 चालकों व उप चालकों की आंखों में कम रौशनी पाए जाने पर चश्मा लगाने का सुझाव दिया गया। एक चालक मोतियाबिंद तो एक नफुना से पीड़ित था। अधिकतर चालकों में दूर व नजदीक की दृष्टि कमजोर पाई गई। चालकों को हर हाल में चश्मा का उपयोग करने का सुझाव दिया गया। वहीं सदर अस्पताल के डॉक्टर ने चालकों व उप चालकों के स्वास्थ्य की जांच की। इसमें कई ब्लड प्रेशर व डाइबिटीज से ग्रसित मिले।
शिविर का उद्घाटन करते हुए क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार के सचिव वरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि जागरूकता से सड़क हादसों पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष सायरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत का जिक्र करते हुए कहा कि जाहिर है गाड़ियों में मौजूद सुरक्षा इंतजाम का उपयोग नहीं हो पा रहा है। दुनिया की बेहतरीन कार का उपयोग सायरस मिस्त्री करते थे। लेकिन, जागरूकता में कमी के कारण उनकी जान चली गई। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक लोड के अनुसार स्पीड तय करनी चाहिए। इससे सड़क हादसों से बचाव हो सकता है। मौके पर डीटीओ सुशील कुमार, एमवीआई रंजीत कुमार आदि थे।
ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में मेडिकल जांच नहीं होती
जिले में बिना मेडिकल जांच के ड्राइविंग लाइसेंस बन रहे हैं। इसके नवीनीकरण में भी मेडिकल जांच के नाम पर कोरम पूरा किया जाता है। सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत सरकारी बस स्टैंड में आयोजित स्वास्थ्य व नेत्र जांच शिविर में अधिकतर चालकों की आंखों में समस्या मिली। इससे जाहिर है कि ड्राइविंग लाइनेंस व इसके नवीनीकरण में मेडिकल जांच को लेकर कोताही बरती जा रही है। 40 से अधिक उम्र वाले चालकों को ड्राइविंग लाइनेंस जारी करने से पूर्व मेडिकल प्रमाण पत्र को अनिवार्य किया गया है। डीएल के भी नवीनीकरण में मेडिकल जांच को अनिवार्य बनाया गया है।