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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 3 माह पूरे होते ही सरकार को अब परीक्षा से गुजरना होगा। अभी तक धामी सरकार केन्द्रीय नेतृत्व और हाईकमान की उम्मीदों पर पूरी तरह से खरी उतरी है। यही कारण है कि धामी के नेतृत्व में ही भाजपा 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। इतना ही नहीं पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उनकी पारी से उत्साहित नजर आए हैं। पुष्कर सिंह धामी ने भी अब तक सभी वर्गों को खुश करने की पूरी कोशिश की है। लेकिन अब 3 बड़े मुद्दे ऐसे हैं, जो कि सरकार की मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। पहला है बिजली कर्मचारियों की हड़ताल। 6 अक्टूबर सुबह 8 बजे से उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघ से जुड़े 3500 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। इससे राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। हालांकि सरकार ने इसकी वैकल्पिक व्यवस्था बनाने का दावा किया है। लेकिन बिजली के कर्मचारियों की हड़ताल से राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिससे आने वाले दिनों में सरकार के लिए बड़ा चेलेंज खड़ा हो सकता है।
18 सूत्रीय मांगों को लेकर कर्मचारियों ने भरी हुंकार
धामी सरकार के लिए दूसरी सबसे बड़ी चुनौती सभी कर्मचारी शिक्षक संगठनों का एक मंच पर आना है। 18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। कर्मचारियों ने एक जुट होकर देहरादून में हुंकार रैली निकाली और सचिवालय कूच किया। सचिवालय कूच के दौरान कर्मचारियों को पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस दौरान कर्मचारी वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए। कर्मचारियों ने सीएम से मिलने का समय मांगा, करीब दो घंटे तक प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के पीआरओ से कर्मचारियों की वार्ता हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के दौरे के बाद वार्ता का आश्वासन दिया है। इसके बाद कर्मचारी धरने से उठे।
प्रदर्शन करने वालों में उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, उत्तराखंड राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन, उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ, उत्तराखंड राजकीय वाहन चालक महासंघ, वैयक्तिक अधिकारी कर्मचारी संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ, सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ, निगम कर्मचारी महासंघ, रोडवेज संयुक्त कर्मचारी परिषद, फेडरेशन ड्राइंग इंजीनियर संघ सहित कई महासंघ उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के साथ शामिल हुए।
भाजपा सरकार के लिए चुनाव में देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। राज्य सरकार ने हाईपॉवर कमेटी बनाकर तीर्थ पुरोहितों को शांत कराने की कोशिश की लेकिन तीर्थ पुरोहितों का सरकार के प्रति विश्वास नहीं बन पाया। आखिरकार तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के 30 अक्टूबर तक का मांगे समय से पहले ही आंदोलन शुरू कर दिया है। चारधाम तीर्थ पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड को रद करने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में धामी सरकार के लिए चुनाव में जाने से पहले तीर्थ पुरोहितों को साधने की बड़ी चुनौती है।