हर लड़के की पहली पसंद होती है कजिन सिस्टर, महामारी बनीं पारिवारिक बीमारियां, हर साल टूट रही हैं डेढ़ लाख शादियां!

Cousin sister is the first choice of every boy, family diseases become epidemic, 1.5 lakh marriages are breaking every year!
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सनातन धर्म हो या फिर इस्लाम… या दुनिया का कोई अन्य धर्म. इन सभी में कई ऐसी परंपराएं रही हैं जो समय के तराजू पर खरा नहीं उतर पाईं और उन्हें बदलने की जरूरत पड़ी. ऐसी ही एक परंपरा है मुस्लिम समाज में चचेरी बहन से निकाह की. दुनिया भर के मुस्लिम समाज में यह परंपरा चली आ रही है. भारत में भी मुस्लिम समुदाय में यह परंपरा खूब प्रचलित है. कुछ सबसे विकसित और अमीर इस्लामिक देशों में युवकों की शादी के लिए पहली पसंद चचेरी बहनें रही हैं. मगर, अब यह परंपरा जी का जंजाल बनने लगी है. विज्ञान की कसौटी पर यह परंपरा खरा नहीं उतर रही है. इस कारण हर साल लाखों जोड़े शादी से पहले ही अलग होने पर मजबूर हो रहे हैं.

दुनिया के मुस्लिम समाज के लोग अरब के शेख लोगों को अपना आदर्श मानते हैं. मानें भी क्यों नहीं. इस धर्म का जन्म भी तो उन्हीं शेख लोगों की धरती से हुआ है. अरब में भी सबसे प्रभावी राष्ट्र है सऊदी अरब. यहीं पर इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना है. इस देश में आज भी शरियत कानून लागू है और यह दुनिया में इस्लामिक नियमों के पालन के मामले में सबसे कट्टर देश है. लेकिन, कुछ समय से यह देश एक अलग ही समस्या से जूझ रहा है. यहां पर कई ऐसी बीमारियां तेजी से फैलने लगी हैं जो विज्ञान की नजर में जेनेटिक हैं. यानी खानदारी बीमारियां. ऐसी बीमारियां को किसी परिवार में सदियों से हैं और उनके वंशजों में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती रहती हैं.

सिकल सेल एनीमिया और थैलसेमिया
एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब में सिकल सेल एनीमिया और थैलसेमिया जैसी बीमारियां काफी हो रही हैं. इसके पीछे का मुख्य कारण चचेरे भाई-बहन के बीच शादी है. चचेरे भाई-बहनों के बीच शादी की वजह से एक खानदान के खून में मौजूद बीमारी दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो जाती है. दरअसल, सऊदी और अरब के अन्य देश परंपरागत रूप से कबिलाई इलाके रहे हैं. यहां पर कबिला के लोग अपनी ताकत और परिवार को एकजुट रखने के लिए सदियों से परिवार के भीतर ही शादी को अहमियत देते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते दशक तक अरब देशों में 50 फीसदी तक शादियां चचेरे भाई-बहनों के बीच ही होती थीं. आज भी इन देशों में चचेरे भाई-बहन के बीच शादी को सबसे पहली प्राथमिकता दी जाती है.

सऊदी सरकार ने उठाया ये कदम
हमारी धार्मिक परंपराएं जो भी हो. आज दुनिया विज्ञान के रास्ते पर चल रही है. ऐसे में यह जरूरी नहीं है कि हम जिस परंपरा का पालन कर रहे हैं वो सही ही हो. इसी को ध्यान में रखते हुए दुनिया के समाजों में लगातार सुधार होता रहा है. सनातन धर्म में बहू विवाह, विधवा विवाह, बाल विवाह जैसी परंपराएं इसी आधार पर खत्म की गईं. इसके लिए समाज सुधारकों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. इसी तरह इस्लाम में भी कई ऐसी परंपराएं या रस्में हैं जो समय के आलोक में सही नहीं हैं. ऐसे में सऊदी अरब की सरकार ने एक शानदार पहल की है.

शादी से पहले मेडिकल टेस्ट अनिवार्य
सऊदी अरब दुनिया का संभवतः पहला इस्लामिक मुल्क है, जहां शादी से पहले लड़का-लड़की का मेडिकल टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है. इस देश ने करीब दो दशक पहले यह कदम उठाया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी की सरकार ने ‘हेल्दी मैरिज’ नाम से यह योजना चलाई है. इसके तहत 2015 तक ही करीब 33 लाख लड़के-लड़कियों का मेडिकल टेस्ट करवाया जा चुका था. इस योजना के तहत हर साल लाखों मेडिकल टेस्ट करवाए जाते हैं. इस टेस्ट का मकसद शादी से पहले लड़के-लड़कियों को आगाह करना है कि उनके खून में कौन सी खानदारी बीमारी है और वे परिवार के भीतर शादी करते हैं तो ये बीमारी आपकी अलगी पीढ़ी में भी हस्तातंरित हो सकती है.

हर साल 1.5 लाख जोड़े शादी से पहले अलग हुए
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी सरकार की इस योजना का व्यापक असर पड़ा है. 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मेडिकल जांच के बाद उस साल 1,65,000 जोड़ों की शादी दूट गई. इसमें यह भी कहा गया है कि जोड़ों को कई तरह के मेडिकल टेस्ट करवाने होते हैं. इसमें सिकल सेल एनीमिया और एचआईवी शामिल है. सऊदी के स्वास्थ्य मंत्रालय का भी कहना है कि इस टेस्ट का मकसद खानदानी बीमारियों को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होने से रोकना है. बीबीसी की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद करीब 60 फीसदी जोड़ों ने अपना निकाह तोड़ लिया.