सच साबित हुआ दिल्‍ली के सीएम का डर, आ गया केंद्र सरकार का अध्‍यादेश

Delhi CM's fear proved to be true, central government's ordinance came
Delhi CM's fear proved to be true, central government's ordinance came
इस खबर को शेयर करें

नई दिल्‍ली: राजधानी में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का डर सच साबित हुआ है। दिल्‍ली के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे लाया गया है। केजरीवाल का दावा है कि इसके जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की साजिश की गई है। शीर्ष अदालत ने ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था। अध्‍यादेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात कही गई है। अध्‍यादेश कहता है क‍ि ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का काम राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) देखेगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के पदेन प्रमुख होंगे। दिल्ली के प्रधान गृह सचिव पदेन सचिव होंगे। दिल्ली के मुख्य सचिव, प्रधान गृह सचिव प्राधिकरण के सचिव होंगे। ट्रांसफर-पोस्टिंग का फैसला अकेले मुख्यमंत्री नहीं करेंगे। बहुमत के आधार पर प्राधिकरण फैसला लेगा और आखिरी फैसला उपराज्यपाल (LG) का मान्य होगा।

सीएम केजरीवाल ने जाह‍िर क‍िया था डर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस अध्‍यादेश के आने से पहले अपना डर जाहिर किया था। उन्‍होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अध्यादेश के जरिये पलटने की ‘साजिश’ की जा रही है। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली सरकार को अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवा मामलों में कार्यकारी शक्ति दी गई थी। सीएम ने एक ट्वीट में सवाल किया था, ‘क्या केंद्र सरकार न्यायालय के आदेश को पलटने की साजिश कर रही है? क्या उपराज्यपाल साहब अध्यादेश का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे?’

अथॉरिटी करेगी पोस्‍ट‍िंंग-ट्रांसफर का फैसला
शुक्रवार को जारी अध्यादेश के अनुसार, 3 लोगों की अथॉरिटी बनेगी। इसका नाम राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) होगा। सभी ग्रुप ए और दानिक्‍स के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति की जिम्मेदारी इसी अथॉरिटी की होगी। नेशनल कैपिटल सर्विसेज ऑथोरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री, प्रिंसिपल होम सेक्रेटरी और चीफ सेक्रेटरी होंगे। इसके चेयरपर्सन दिल्ली के सीएम होंगे। जो भी फैसला लिया जाएगा उसको एलजी के पास भेजा जाएगा। एलजी को कोई दिक्कत लगती है तो वह इस फाइल को नोट लगाकर वापस भेजेंगे। हालांकि, मतों में अंतर होने की स्थिति में अंतिम फैसला एलजी का होगा।

मोटे तौर पर कह सकते हैं कि ऑर्डिनेंस के जरिये केंद्र सरकार ने दिल्ली में उपराज्‍यपाल के कामकाज पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। एक तरह से कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार ने पलट दिया है। दिल्ली में एलजी की शक्ति को दोबारा बहाल किया गया है। दिल्‍ली सरकार को पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग सहित सर्विस मामलों में कार्यकारी शक्ति दी थी।