देवर या ननदोई, पहले हलाला फिर घर में एंट्री, जूझ रही बिहार की तसीमा, जानिए पूरा मामला

Devar or Nandoi, first Halala then entry in the house, Bihar's Taseema is struggling, know the whole matter
Devar or Nandoi, first Halala then entry in the house, Bihar's Taseema is struggling, know the whole matter
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मुजफ्फरपुर : देवर या ननदोई (ननद का पति) से हलाला के बाद ही घर में एंट्री मिलेगी। पिछले डेढ़ साल से मुजफ्फरपुर की तसीमा खातून अपने हक के लिए जूझ रहीं हैं। ससुराल पक्ष ने शर्त रखी है कि निकाह हलाला होगा, फिर उसे अपने पति से असली शादी करनी होगी। तब कहीं जाकर घर में रहने दिया जाएगा। तसीमा की आत्मा इस बात की गवाही नहीं दे रही है। उसे लगता है कि वो अपने देवर या ननदोई के साथ पहले निकाह फिर शारीरिक संबंध और फिर तलाक क्यों ले? उसे तो सिर्फ अपने बेटे के साथ ससुराल में रहना है। आखिर एक बेटी कब तक अपने मायके में रहेगी? जबकि ससुराल में संपन्नता है, उसके पति का बिजनेस है। उसके पति के कमाए पैसे से जब पूरा परिवार ठाट से रह सकता है तो वो अपने औलाद को लेकर क्यों नहीं रह सकती?

इस्लाम धर्म में हलाला क्या है?
इस्लाम में औरत को तीन तलाक देने के बाद दोबारा उसी महिला से विवाह करने की प्रक्रिया को निकाह हलाला कहा जाता है। मगर ये उतना आसान नहीं हैं, जितना की पढ़ने में लग रहा है। शरिया के मुताबिक अगर किसी पुरुष ने औरत को तीन तलाक दे दिया है तो उसने उस औरत का अपमान किया है। अब वो शख्स उस औरत से दोबारा तब तक शादी नहीं कर सकता, जब तक वो औरत किसी दूसरे पुरुष से निकाह कर तलाक न ले ले। वैसे, महिला के दूसरे पति को तलाक देने पर मजबूर नहीं किया जा सकता। वो चाहें तो पति-पत्नी की तरह रह सकते हैं। मगर निकाह हलाला के लिए तलाकशुदा महिला को किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है। उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना होता है। फिर दूसरे पति से तलाक लेनी होती है। तब जाकर पहले पति के साथ फिर से निकाह होता है। इस पूरे प्रॉसेस को निकाह हलाला कहते हैं। आम बोलचाल में इसे हलाला कहा जाता है।

मुजफ्फरपुर का मामला क्या है?
मुजफ्फरपुर के सकरा में तीन तलाक के बाद सवा साल से हलाला के लिए एक महिला पर दबाव बनाया जा रहा है। ससुराल पक्ष का दबाव है कि देवर या ननदोई से हलाला के बाद ही उसका उसके पति फिर से निकाह होगा, जिसके बाद वो ससुराल में रहने लायक होगी। हलाला से इंकार कर रही महिला 21 अगस्त को ससुराल में रहने के लिए पहुंची तो उसके साथ मारपीट की गई। इसके बाद सकरा थाने में 26 अगस्त 2022 को एफआईआर दर्ज कराई। मानवाधिकार के पास भी आवेदन देकर गुहार लगाई। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। जिस पंचायती में तसीमा खातून को तीन तलाक दिया गया था, उसमें शामिल लोगों का बयान लिया जाएगा। फिलहाल, उसका पति कोलकाता में है। वहां वो व्यवसाय करता है। दर्ज मामले मे ससुर, सास, ननद और देवर को आरोपी बनाया है। ससुर पर गलत नजर रखने का भी आरोप है।

हलाला तक कैसे पहुंचा विवाद?
निकाह के बाद तसीमा ससुराल में ठीक से रह रही थी। इसी दौरान एक बेटा भी हुआ। हंसी-खुशी जिंदगी कटने लगी। तसीमा को लगा कि उसे जीने का सहारा मिल गया। जीवन को मकसद हासिल हो गया। मगर सबकुछ इतना आसान कहां होता है। तसीमा की जिंदगी में तूफान का दस्तक देना बाकी थी। इसके बाद दहेज नाम के दानव ने उसकी जिंदगी में एंट्री मारी। पति ने 10 लाख रुपए और पांच भर (तोला) सोना की डिमांड रखी। नहीं देने पर प्रताड़ना का दौर शुरू हुआ। सास, ससुर, ननद और देवर भी दहेज के लिए आतुर थे। दहेज के लिए डेढ़ साल पहले मारपीट कर घर से निकाल दिया गया। तब अप्रैल 2021 में तसीमा के पिता ने ससुराल में पंचायती रखी। इसी पंचायती में पति ने तीन तलाक दे दिया। अब ससुराल वालों का शर्त है कि अगर ससुराल में रहना है तो हलाला से गुजरना ही होगा। देवर या ननदोई से पहले निकाह होगा। फिर शारीरिक संबंध बनाना होगा। फिर उनसे तलाक लेनी होगी। फिर पहले पति से निकाह संभव है। इतना कुछ होने के बाद ही ससुराल के आंगन में आने की परमिशन मिलेगी। अपने अस्मत को दूसरे के हवाले करने से बेहतर तसीमा ने कानून का रास्ता अख्तियार किया है।

भारत का कानून क्या कहता है?
1 अगस्त 2019 को देश में तीन तलाक या ट्रिपल तलाक कानून लागू हुआ था। पहले तीन तलाक के तहत कोई पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोल कर छोड़ देता था। लेकिन अब ये भारत में गैरकानूनी है। तीन तलाक कानून के तहत अगर कोई पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोल कर छोड़ देता है तो उसे कानूनन तीन साल की सजा हो सकती है और पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। इससे पहले 2017 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक ठहराया था। कोर्ट ने सरकार को तीन तलाक को रोकने के लिए कानून का आदेश दिया था। तलाक-ए-बिद्दत के तहत इसमें शौहर अपनी बीवी को एक ही बार में तीन बार बोलकर या लिखकर तलाक दे सकता था। तीन बार तलाक के बाद शादी तुरंत टूट जाती थी। अब तीन तलाक गैर कानूनी है। तीन तलाक की प्रक्रिया में भी तलाकशुदा शौहर-बीवी दोबारा शादी कर सकते थे, लेकिन उसके लिए हलाला की प्रक्रिया को अपनाया जाता था। इसी हलाला के खिलाफ मुजफ्फरपुर की तसीमा ने झंडा उठाया है।