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Ram Janam bhumi Ayodhya: त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम के रूप में अवतार लिया था. प्रभु राम भगवान विष्णु के सातवे अवतार हैं. प्रभु राम हिंदुओं के प्रमुख आराध्य देव हैं. प्रभु राम पर लिखे गए रामायण और रामचरित मानस हमारे पवित्र ग्रंथ हैं. एक ओर तुलसीदास जी ने श्री राम को ईश्वर मान कर रामचरितमानस की रचना की है, वहीं आदिकवि वाल्मीकि ने रामायण में प्रभु श्री राम को मनुष्य ही माना है. यही वजह है कि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में राम के राज्यभिषेक तक का ही वर्णन है, जबकि श्री वाल्मीकि ने रामायण में कथा को आगे बढ़ाते हुए श्री राम के महाप्रयाण तक वर्णित किया है. अब चूंकि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बन रहे नए मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को कुछ ही दिन शेष हैं. तब प्रभु राम के जन्म की रोचक कथा जानते हैं.
पुत्र प्राप्ति के लिए कराया यज्ञ
विवाह के कई वर्षों बाद तक जब महाराजा दशरथ को संतान प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ कराने की ठानी. इसके लिए श्यामकर्ण घोड़ा चतुरंगिनी सेना के साथ छुड़वा दिया गया. महाराज दशरथ ने समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों तथा वेदविज्ञ प्रकाण्ड पण्डितों को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिये बुलावा भेज दिया. निश्चित समय आने पर सारे अतिथि गण, गुरु वशिष्ठ, ऋंग ऋषि आदि यज्ञ मण्डप में पधारे. फिर महान यज्ञ का विधिवत शुभारंभ किया गया. पूरा वातावरण वेदों की ऋचाओं और मंत्रोच्चार से गूंज उठा. यज्ञ के बाद समस्त पण्डितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को सम्मानपूर्वक धन-धान्य, उपहार देकर विदा किया गया.
प्रसाद की खीर खाकर गर्भवती हुईं रानियां
इसके बाद राजा दशरथ यज्ञ के प्रसाद चरा(खीर) को अपने महल में लेकर गए. जहां तीनों रानियों को ये प्रसाद दिया और ये प्रसाद ग्रहण करने के परिणामस्वरूप तीनों रानियों ने गर्भधारण किया. फिर जब चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे, कर्क लग्न का उदय हो रहा था तब ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने रामलला को जन्म दिया. शिशु राम नील वर्ण के, चुंबकीय आकर्षण वाले, बेहद तेजोमय, परम कान्तिवान और अत्यंत सुंदर थे. देखने वाले उस शिशु को देखते ही रह जाते थे. इसके पश्चात् शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी ने एक व रानी सुमित्रा ने दो तेजस्वी पुत्रों को जन्म दिया था.