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Lok Sabha Election 2024: बिहार में नीतीश कुमार के फिर से यूटर्न लेते ही बीजेपी सत्ता में लौट आई है. लोकसभा से ठीक पहले नीतीश कुमार का यूटर्न विपक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे विपक्षी गठबंधन INDIA का पूरा गेम बिगाड़ गया है, लेकिन आरजेडी और कांग्रेस की लॉटरी भी लग चुकी है. दोनों दलों के लिए अच्छी बात ये है कि अब सीट शेयरिंग में ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी. नीतीश के रहते महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर मामला सुलझने का नाम नहीं ले रहा था. दरअसल, बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. विधानसभा में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने के चलते लालू ज्यादा सीटें चाहते थे. वहीं महागठबंधन में रहते हुए नीतीश अपनी सिटिंग सीटें यानी 2019 में जीती हुई 16 सीटों को कतई छोड़ने के मूड में नहीं थे.
कांग्रेस और वामदलों को सिर्फ 5-6 सीटों में ही बंटवारा करना था. इससे कांग्रेस को अधिकतम 3 सीटें ही मिल रही थीं. ये फॉर्मूला कांग्रेस को भी मंजूर नहीं था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कहा था कि वह सम्मान से समझौता नहीं करेंगे. यही वजह थी कि महागठबंधन में रहते हुए नीतीश और लालू के बीच सीट शेयरिंग को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी थी, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा था. अब नीतीश फिर से एनडीए में जा चुके हैं. इससे आरजेडी और कांग्रेस को जेडीयू के हिस्से की सीटों पर भी लड़ने का मौका मिलेगा.
बता दें कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में आरजेडी को 20, कांग्रेस को 9, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 5, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 3, मुकेश सहनी की वीआईपी को 3 और सीपीआईएमएल को आरजेडी कोटे से एक सीट मिली थी. वहीं नीतीश कुमार ने पिछला लोकसभा चुनाव भी बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था. एनडीए में बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीटों पर और दिवंगत नेता राम विलास पासवान की लोजपा ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था. एनडीए को 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. महागठबंधन में कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हुई थी.
नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी से INDIA का पूरा गेम बिगाड़ गया है. तो वहीं बीजेपी के ‘मिशन 400 पार’ के लिए ये एक मजबूत कड़ी साबित होगा. बीजेपी को अपना सपना पूरा करने के लिए बिहार जैसे अहम राज्य की सख्त जरूरत है. पिछले चुनाव में एनडीए सिर्फ एक सीट से क्लीन स्वीप से चूक गई थी. नीतीश की गैरमौजूदगी में एनडीए अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहती. बीजेपी के ग्राउंड सर्वे में भी भारी नुकसान के संकेत मिल रहे थे. इसीलिए बीजेपी आलाकमान की ओर से नीतीश की वापसी कराई गई. वैसे भी जब अगस्त 2022 में नीतीश अलग हुए थे तो एनडीए ने अपने 16 सांसद खो दिए थे.