बच गई धरती, टक्कर होती तो पूरी तरह तबाह हो जाता ये शहर, सामने आया वीडियो

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इतिहास में 8वीं बार जर्मनी में एक उल्कापिंड को धरती के वायुमंडल में घुसने से पहले देखा गया है। कुछ ही घंटों में यह जर्मनी की राजधानी बर्लिन के पास लीपजिग नाम के इलाके के ऊपर आसमान को चीरते हुए आया। फिर तेज विस्फोट और रोशनी के साथ न जाने कहां गायब हो गया। उसके बाद कुछ ही घंटों में राजधानी बर्लिन के पास से गुजरते हुए तेज विस्फोट के साथ गायब हो गया। इस घटना ने सारे यूरोप में हलचल मचा दी है। अब वैज्ञानिक उसके टुकड़े खोज रहे हैं।

बता दें कि यह बात है 21 जनवरी 2024 की है और अब इससे कुछ ही घंटे पहले वैज्ञानिकों ने इसे ट्रैक किया था। किस्मत अच्छी थी कि यह आकार में छोटा था। वैज्ञानिकों ने कहा अगर इसका आकार बड़ा होता तो या किसी धातु से बना उल्कापिंड होता तो यह भयानक तबाही मचा सकता था। इसकी वजह से लीपजिग शहर या बर्लिन के आसपास का इलाका पूरी तरह खत्म हो सकता था। इतना ही नहीं इसका असर यूरोपीय संघ के अन्य देशों में देखने को भी मिल सकता था। अगर यह समंदर में गिरता तो कई शहरों में सुनामी भी ला सकता था।

नासा ने कहा- छोटा है कोई टेंशन की बात नहीं
उल्कापिंड को सबसे पहले Piszkéstető Mountain Station के Konkoly Observatory से देखा गया था। इसका नाम है 2024BXI और नासा ने इसे छोटा और अगाध बताया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका आकार छोटा है, और यह वायुमंडल में ही जलकर खत्म हो जाएगा, जिससे कोई नुकसान नहीं होगा।

50 km ऊपर से जलना शुरू हुआ था
उत्तरी जर्मनी में मौजूद शहर लीपजिग के एक कैमरा ने इसे आते हुए केद किया था। इसके पश्चिम दिशा में जाते हुए, यह जलते हुए और विस्फोट के साथ गायब हो गया। हालांकि यह सब कुछ ही सेकेंड में ही हो गया। वैज्ञानिकों ने कहा इस एस्टेरॉयड की चौड़ाई 3.3 फीट है। लेकिन यह बर्लिन की जमीन से करीब 50 किलोमीटर ऊपर आसमान में वायुमंडल में आया। इसके बाद यह जलकर टूट गया और अब वैज्ञानिक इसके टुकड़े को खोज रहे हैं। यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी क्रिश्चियन सारनेज्की ने पिछले कई वर्षों में कई ऐसे एस्टेरॉयड खोजे हैं। जिसपर नासा या अन्य वैज्ञानिकों की नजर नहीं पड़ी। उन्होंने 2022 EB5 उल्कापिंड को भी खोजा था। जो की धरती के वायुमंडल में टकराने से 2 घंटे पहले ही खोजा गया था।

2013 में मची थी भारी तबाही
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अनुसार, 99% उल्कापिंड छोटे होते हैं और वह खतरनाक नहीं होते, अगर वे 98 फीट से छोटे हैं। वैज्ञानिकों ने कहा छोटे उल्कापिंडों को खोजना और उनके रास्ते और ड्रॉप प्वाइंट को खोजना भी आसान काम नहीं हैं। साल 2013 में रूस के शीलियाबिंस्क में एक उल्कापिंड तेजी से गुजरा था, जिसकी वजह से पूरे शहर की इमारतों की खिड़कियां टूट गई थीं। लोग कुछ सेकेंड के लिए देख नहीं पा रहे थे। उस दौैरान 1600 लोग जलने की वजह से जख्मी भी हो गए थे।