कर्ज में दबे छत्तीसगढ़ पर भारी पड़ेंगे चुनावी वादे, भाजपा और कांग्रेस को खोलना होगा कितना खजाना

Election promises will weigh heavily on debt-ridden Chhattisgarh, how much treasury will BJP and Congress have to open?
Election promises will weigh heavily on debt-ridden Chhattisgarh, how much treasury will BJP and Congress have to open?
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रायपुर: छत्तीसगढ़ के विधानसभा के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों ने बड़ी बड़ी घोषणाएं की हैं। चाहे कर्ज माफी की बात हो महिलाओं को सालाना पैसे देने की, किसानों से धान खरीदी और बोनस बांटने की। प्रदेश के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही बढ़चढ़कर घोषणाएं की हैं। हम चुनाव की भाषा में इन सभी वादों और घोषणाओं को मुफ्त की रेवड़ियां भी कह सकते हैं। इन सभी वादों और घोषणाओं से माना जा रहा है कि इसका सीधा असर राज्य के बजट पर पड़ने वाला है। प्रदेश के बजट का एक बड़ा हिस्सा इन योजनाओं को पूरा करने में खर्च हो जाएगा। अगर छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की घोषणा के लोक लुभावन वादों पर नजर डाले तो चाहे किसी की भी सरकार प्रदेश में बने लगभग एक जैसे पैसे दोनों ही वादों को पूरा करने में खर्च हो जाएंगे।

वहीं दूसरी यह साफ है कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के बाद जिस किसी पार्टी की सरकार बनेगी उसे सत्ता की कुर्सी के कर्ज के भारी बोझ से दबा हुआ राज्य मिलेंगा। क्योकि छत्तीसगढ़ पर वर्तमान में 82 हजार करोड़ का कर्ज है। जिस तरह से प्रदेश में चुनाव के दौरान बढ़ चड़कर वादे किए गए हैं उन्हें देखकर यह साफ लगता है कि यह कर्ज कम नही होगा। आने वाले सालों में यह कर्ज समय के साथ और बड़ता ही जाएगा। बतादें कि साल 2018 के दौरान पूर्व सीएम रमन ने जब छत्तीसगढ़ की कुर्सी छोड़ी थी उस वक्त प्रदेश सरकार पर 41 हजार 695 रुपए का कर्ज था। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में सीएम के रूप में भूपेश बघेल ने सत्ता संभाली लेकिन साल 2023 तक यह कर्ज बढ़कर दुगना हो गया है। यानी जनवरी 2023 तक प्रदेश की सरकार पर 82 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है। यानी इस कर्ज पर सालाना 6000 करोड़ का ब्याज राज्य सरकार पटा रही है।

भाजपा और कांग्रेस की घोषणाओं में खर्च का अनुमान

छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस की घोषणाओं और वादों पर कितने का खर्च आएगा उसे अनुमानित तौर पर समझे तो प्रदेश में धान खरीदी की घोसणा पर सरकार 45,000 करोड़ की राशि का खर्च आएगा। किसान कर्जमाफी और बोनस में 9500 करोड़ की राशि खर्च होगी। भूमिहीन खेतिहर मजदूर पर की गई योजना पर 570 करोड़ रुपये की राशि खर्च आएगा। इसी तरह रसोई गैस सब्सिडी में 1700 करोड़, महिलाओं को सहायता देने के मामले में 13,000 एवं तेंदुपत्ता खरीदी व बोनस के मामले में 1300 करोड़ की राशि का लगभग अनुमानित तौर पर खर्च आएगा। यानी की कांग्रेस को अपने वादों को पूरा करने करने अनुमानित तौर पर 71 हजार 70 करोड़ की राशि का खर्चा होगा।

वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के द्वारा की गई घोषणाओं पर खर्च के अनुमानित राशि की बात करें तो भाजपा अपने धान खरीदी के वादों के अनुसार 45000 करोंड़ की राशि का खर्च आएगा। किसान कर्जमाफी और बोनस में 5000 करोड़ रुपए, भूमिहीन खेतिहर मजदूर में 570 करोड़, रसोई गैस सब्सिडी में 1000 करोड़,महिलाओं को सहायता देने के मामले में 12000 करोड़, तेंदूपत्ता खरीदी व बोनस के मामले में 1300 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च इनकी घोषणा से आएगा। भाजपा को चुनाव में किए गए वोदों पर 64 हजार 870 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च आएगा।