हिमाचल मंत्रिमंडल गठन के लिए इन बड़े जिलों में फंसा पेच, करनी पड़ रही माथापच्ची

For the formation of Himachal cabinet, there is a lot of confusion in these big districts
For the formation of Himachal cabinet, there is a lot of confusion in these big districts
इस खबर को शेयर करें

शिमला : जिला शिमला में कांग्रेस को आठ में से सात सीटें मिली हैं। यहां वीरभद्र खेमे को संतुष्ट करने के लिए विक्रमादित्य सिंह का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। हालांकि, विक्रमादित्य के अलावा रोहित ठाकुर वरिष्ठता के हिसाब से दूसरे प्रबल दावेदार हैं। नई सरकार के गठन के लिए प्रदेश के बडे़ जिलों कांगड़ा और शिमला में पेच फंसा है। कांगड़ा और शिमला ने कांग्रेस को काफी सीटें दी हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को यह तय करने में खूब माथापच्ची करनी पड़ रही है कि किसे मंत्री बनाया जाए। जो मंत्री नहीं बन पाएंगे, उनका तुष्टिकरण भी चुनौती होगा। इसके लिए तमाम समीकरण हल किए जा रहे हैं। जातीय, क्षेत्रीय और अन्य तमाम तरह के संतुलन भी साधे जा रहे हैं।

सुक्खू ने सोमवार को दिल्ली में भी इस संबंध में हाईकमान से मंत्रणा की है। कांगड़ा और शिमला जिलों ने 40 में से 17 यानी 43 फीसदी सीटें दी हैं। कांगड़ा जिले में पंद्रह में से दस सीटें मिली हैं। यहां से चंद्र कुमार, सुधीर शर्मा, रघुवीर बाली, संजय रतन, आशीष बुटेल मंत्री बनने की दावेदारी में हैं। चंद्र कुमार और सुधीर शर्मा वीरभद्र सरकारों में भी मंत्री रहे हैं। रघुवीर बाली के पिता पूर्व मंत्री जीएस बाली वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे हैं और आशीष बुटेल के पिता विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल के बेटे हैं।

जिला शिमला में कांग्रेस को आठ में से सात सीटें मिली हैं। यहां वीरभद्र खेमे को संतुष्ट करने के लिए विक्रमादित्य सिंह का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। हालांकि, विक्रमादित्य के अलावा रोहित ठाकुर वरिष्ठता के हिसाब से दूसरे प्रबल दावेदार हैं। ठियोग से कुलदीप राठौर बेशक पहली बार विधायक बने हैं, लेकिन उनके प्रदेशाध्यक्ष रहते कांग्रेस ने उपचुनाव में चारों सीटें जीती थीं। अनिरुद्ध सिंह तीन बार विधायक बने हैं, वह भी मंत्री बनने के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं।

मंडी, हमीरपुर, चंबा और कुल्लू में इस तरह के समीकरण
जिला मंडी में 10 सीटों में से कांग्रेस एकमात्र धर्मपुर ही जीत पाई है। धर्मपुर से कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर को मंत्री या इस स्तर का कोई पद दिया जा सकता है। हमीरपुर से सुखविंद्र सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री बनने से सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा और बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के मंत्री बनने की संभावना कम हो गई है। चंबा में से पांच में कांग्रेस को दो विधायक मिले हैं। यहां से कुलदीप पठानिया का मंत्री बनना तय है। जिला कुल्लू में चार में से दो सीटों पर कांग्रेस जीती है। यहां कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह ठाकुर मंत्री पद की दावेदारी में हैं।

सिरमौर से हर्षवर्द्धन, बिलासपुर से धर्माणी का मंत्री बनना तय
सिरमौर जिले में पांच में से तीन सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई है। शिलाई के विधायक हर्षवर्द्धन वरिष्ठ विधायक हैं। उनका मंत्री बनना तय माना जा रहा है। जिला बिलासपुर में चार सीटों में से एक सीट ही कांग्रेस के खाते में आई है। घुमारवीं के कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है।

जनजातीय मंत्री बनाने के लिए जगत नेगी, रवि में फंसा पेच
जनजातीय मंत्री बनाने के लिए जगत सिंह नेगी और रवि ठाकुर में पेच फंसा है। जगत सिंह नेगी विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं और वरिष्ठ विधायक हैं। रवि ठाकुर जनजातीय होने के साथ-साथ बौद्ध अल्पसंख्यक होने की बात कर भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

दिग्गजों के हारने से नए चेहरों के मंत्री बनने का रास्ता बना
कौल सिंह ठाकुर, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी, प्रकाश चौधरी और ठाकुर सिंह भरमौरी जैसे दिग्गजों के हारने से कई नए चेहरों का मंत्री का रास्ता साफ हुआ है। वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे नेताओं में मुकेश अग्निहोत्री, धनीराम शांडिल, सुधीर शर्मा और चंद्र कुमार चुनाव जीते हैं। मुकेश अग्निहोत्री उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वरिष्ठता के हिसाब से धनीराम शांडिल, सुधीर शर्मा और चद्र कुमार मंत्री बनने की पात्रता रखते हैं।