22 सितंबर को सोनिया से मिले गहलोत, फिर कैसे बिगड़े हालात…

Gehlot met Sonia on September 22, then how the situation worsened...
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जयपुर। राजस्थान में जारी सियासी ड्रामा खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजनीतिक हालातों पर जयपुर से लौटे मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से लिखित रिपोर्ट मांगी है. दोनों नेताओं ने सोमवार को भी सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. राजस्थान में हुए राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए आलाकमान अशोक गहलोत से नाराज बताया जा रहा है. लेकिन यह सियासी विवाद एक दिन में शुरू नहीं हुआ. 22 सितंबर को अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. 25 सितंबर आते आते गहलोत खेमे के विधायकों ने आलाकमान द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षकों से भी मिलने से इनकार कर दिया.

आईए जानते हैं राजस्थान कांग्रेस के सियासी विवाद की पूरी टाइमलाइन…

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव और राजस्थान में विवाद

राजस्थान में शुरू हुए विवाद की शुरुआत देखी जाए, तो इसका सीधा संबंध कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव से है. दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. इसके बाद से कयास थे कि अशोक गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा और मुख्यमंत्री की कुर्सी सचिन पायलट को दे दी जाएगी.

राजस्थान संकट के बीच दिग्विजय ने दिए अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के संकेत
21 सितंबर: भले ही उदयपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन में तय हुआ था कि एक व्यक्ति के पास एक ही पद रहेगा. लेकिन जब गहलोत से पूछा गया कि क्या वे अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान के सीएम पद को छोड़ देंगे. इस पर उन्होंने कहा था कि अध्यक्ष पद का चुनाव ओपन चुनाव है, इसे कोई भी लड़ सकता है. जहां तक बात एक व्यक्ति, एक पद की है, वो नॉमिनेटेड पदों के लिए है. इसके बाद से कयास शुरू हो गए थे कि गहलोत अध्यक्ष बनने के बाद भी सीएम पद नहीं छोड़ेंगे या फिर अपने गुट में से किसी नेता को यह पद सौपेंगे.

22 सितंबर: अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की. यह बैठक दो घंटे चली थी. इस दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होगा. वे किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगी. न ही वे किसी को व्यक्तिगत स्वीकृति देंगी. साथ ही सोनिया गांधी ने यह भी कह दिया था कि नामांकन और नतीजों के बाद ही एक व्यक्ति, एक पद का मामला आएगा.

23 सितंबर: अशोक गहलोत ने राहुल गांधी से मुलाकात की. इसके बाद उनके सुर कुछ बदले नजर आए. उन्होंने कहा कि वे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे. इसके साथ ही उन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद सीएम पद छोड़ने के भी संकेत दिए. गहलोत ने कहा था कि अध्यक्ष पद के लिए पूरे मुल्क में काम करके पोस्ट को जस्टीफाई भी करना होता है. ऐसे में दो पोस्ट पर काम नहीं हो सकता. दरअसल, राहुल गांधी से एक दिन पहले जब एक व्यक्ति और एक पद के बारे में पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि यह उदयपुर में कांग्रेस की बैठक में तय हुआ था, मुझे लगता है कि सभी को यह मानना चाहिए.

25 सितंबर, जब नाराजगी खुलकर आई सामने

राजस्थान में सचिन पायलट को सीएम बनाने की चर्चा के बीच अशोक गहलोत खेमे के करीब 82 विधायक खुलकर सामने आ गए. इन विधायकों ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद माकन और खड़गे जब नाराज विधायकों के साथ बैठक करने जयपुर पहुंचे, तो कुछ शर्तों को रखकर बातचीत करने से इनकार कर दिया.

25 सितंबर को कब क्या हुआ?

सुबह 10 बजे: राजस्थान सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि जिन 102 विधायकों ने 2020 में गहलोत का समर्थन किया था, उन्हीं में से एक को सीएम बनाया जाए.

सुबह 11 बजे: अशोक गहलोत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह के साथ तनोट मंदिर के लिए रवाना हो जाते हैं. यहां बॉर्डर पर नेटवर्क नहीं आते, उनका फोन आउट ऑफ रीच हो जाता है.

दोपहर 12 बजे: गहलोत के खेमे के विधायक मंत्री शांति धारीवाल के घर पहुंचते हैं.

दोपहर 1.30 बजे: पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर पहुंचते हैं, लेकिन उनकी गहलोत से कोई बात नहीं हो पाती.

दोपहर 3 बजे- गहलोत कैंप के विधायक धारीवाल के आवास पर 5 बजे मीटिंग बुलाते हैं.

शाम 7.30 बजे- धारीवाल के घर पर गहलोत समर्थक विधायकों की संख्या बढ़ती जाती है.
रात 9 बजे- गहलोत समर्थक विधायक इस्तीफा देने का फैसला करते हैं. सभी विधायक स्पीकर के आवास के लिए रवाना होते हैं. गहलोत खेमे ने दावा किया है कि करीब 82 विधायकों ने इस्तीफा सौंपा.

रात 12 बजे- माकन और खड़गे नाराज विधायकों से एक एक कर बात करने की कोशिश करते हैं, लेकिन विधायक अपनी शर्तें रखकर बात करने से इनकार कर देते हैं. विधायकों ने हाईकमान से बात करने के लिए फिर तीन शर्तें रखी. पहली- 19 अक्टूबर के बाद सीएम पद पर फैसला करें. दूसरी- वन टू वन नहीं, ग्रुप में विधायकों से बात करें. तीसरी- राजस्थान के सीएम गहलोत के खेमे से होना चाहिए.

तड़के 3 बजे- दोनों पर्यवेक्षक सचिन पायलट के साथ बैठक करते हैं.
26 सितंबर को क्या क्या हुआ?

– 11.30 बजे: अजय माकन ने धारीवाल के घर हुई बैठक को अनुशासनहीनता करार दिया.

– दोपहर 1.30 बजे : गहलोत माकन और खड़गे से मुलाकात करने होटल पहुंचे. लेकिन माकन गहलोत से बिना मिले ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए. हालांकि, गहलोत ने खड़गे से मुलाकात की.

– दोपहर 2 बजे: कमलनाथ को पार्टी आलाकमान ने दिल्ली बुलाया. बताया जा रहा है कि कमलनाथ गहलोत गुट और पायलट गुट के विधायकों के बीच मध्यस्थता कराने के लिए बुलाया गया.

– सोमवार शाम को माकन और खड़गे ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी. हालांकि, सोनिया गांधी ने दोनों नेताओं से लिखित में जानकारी मांगी.