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Bihar Politics: बिहार में बीते दिनों इफ्तार पार्टी पॉलिटिक्स देखने को मिली थी. बीजेपी को छोड़कर लगभग सभी दलों की ओर से इफ्तार दावत का आयोजन किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मुस्लिम टोपी पहनकर इफ्तार दावतों का आयोजन करते नजर आए थे. इसके जरिए खुद को मुसलमानों का असली हमदर्द बताने की कोशिश की गई थी. हालांकि, CAG की रिपोर्ट देखें तो लगेगा कि ये सारी बातें महज दिखावा थीं.
कैग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक विभाग विकास योजनाओं की 60 फीसदी राशि को खर्च ही नहीं कर पा रही है. विभाग को सरकार की ओर से जो धनराशि आवंटित की गई थी, उसमें से उसने सिर्फ 40 फीसदी धन का इस्तेमाल किया और 60 प्रतिशत राशि को वापस भेज दिया. ये जानकारी एक RTI के जरिए सामने आई. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार अल्पसंख्यक वित्त निगम लिमिटेड 40% के आस-पास ही राशि खर्च कर पा रही है. लगभग 60% राशि रिटर्न हो जा रही है.
कैसे होगा अल्पसंख्यकों का विकास?
कैग की रिपोर्ट से पता चला कि राज्य पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 2018-19 से 2019-20 के दौरान विभाग को 62 करोड़ 94 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें से मात्र 25.65 करोड़ खर्च हो पाया. इसी तरह केंद्र पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 5005 लाख रुपए में से 3344 लाख रुपए का वितरण ही किया गया, 1651 लाख रुपए विभाग को लौटा दिया गया है.
अल्पसंख्यक मंत्री का क्या कहना है?
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री जमा खान का कहना है कि हम लोग बैठक कर जल्द ही इस समस्या को दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद अधिक से अधिक लोगों को मदद पहुंचाना है और उस दिशा में हम लोग काम करेंगे जो भी त्रुटियां हैं, उसे दूर किया जाएगा. JDU के प्रवक्ता हिमराज राम ने सफाई देते हुए कहा कि सरकार का मकसद साफ है अधिक से अधिक योजनाओं का लाभ सही ढंग से लोगों तक पहुंचे और इसमें जहां भी गड़बड़ी और त्रुटियां होगी उस पर एक्शन लिया जाएगा.