प्यासी है हरियाणा की धरती, 34 लाख करोड़ लीटर पानी की जरूरत, 14 लाख करोड़ अभी कम मिल रहा

Haryana's land is thirsty, 34 lakh crore liters of water is needed, 14 lakh crore is still getting less
Haryana's land is thirsty, 34 lakh crore liters of water is needed, 14 lakh crore is still getting less
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चंडीगढ़: हरियाणा की प्यासी धरती के लिए पानी पूरा नहीं पड़ रहा है। आने वाले समय में यह जलसंकट और गहराएगा। खेती करने के तरीकों और बजट में बदलाव नहीं किया गया तो प्रदेश के सामने जलसंकट गहरा सकता है। ऐसे में बढ़ रही आबादी और आने वाली पीढ़ी को पानी का संकट झेलना पड़ेगा। वर्तमान में हरियाणा को 14 लाख करोड़ लीटर पानी कम मिल रहा है। यदि बजट में ढाई से तीन प्रतिशत राशि बढ़ाई गई तो यह घाटा आधा रह जाएगा, लेकिन भरपाई नहीं होगी। प्रदेश को अभी 34 लाख करोड़ लीटर पानी की आवश्यकता है। इतनी प्रतिपूर्ति होती है तो प्रदेश में खेती और पीने के लिए पर्याप्त पानी होगा।

प्रदेश में 87 प्रतिशत पानी सिर्फ खेती के लिए चाहिए और तीन प्रतिशत पानी पीने के लिए। सरकार ने धान की सीधी बिजाई के लिए रकबा बढ़ाकर दो लाख एकड़ कर दिया है, लेकिन गन्ने के लिए ऐसी तकनीक का पता लगाना जरूरी है। जिससे गन्ने में प्रयुक्त होने वाला पानी कम लगे। फिलहाल गन्ने का रकबा सरकार ने ढाई लाख एकड़ से कम करके एक लाख एकड़ कर दिया है। गन्ने की खेती को ड्रिप सिंचाई तकनीक पर लाने की तैयारी है।

जो किसान इसकी पालना करेंगे उन्हें शुगर मिलों के साथ करार में 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी। मसलन यदि किसान शुगर मिल के साथ यह अनुबंध करता है कि वह 10 एकड़ की 3000 क्विंटल फसल शुगर मिल को देगा और फसल कुछ कम रह गई तो उसे शुगर मिल के साथ किए गए करार में छूट दी जाएगी। जल जीवन मिशन के तहत पंचकूला में हुए प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में भी इसका मुद्दा उठा था। उसमें विशेषज्ञों ने राय दी थी कि अगर विभागों का बजट तीन प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाए तो जल सरंक्षण में फायदा मिलेगा और धरती की प्यास बुझ सकेगी।

फिलहाल भविष्य के लिए यह योजना
इस समय 204 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में 1800 एमएलडी पानी प्रयोग होता है। दो साल में इसका 50 प्रतिशत पानी खेती के अलावा अन्य कार्यों में प्रयोग करना शुरू हो जाएगा। तीन साल की यह योजना है कि शोधित जल का संपूर्ण प्रयोग हो। वन विभाग सड़क किनारे लगे पौधों में साफ नहर और जमीन के नीचे का साफ पानी प्रयोग करता है। अब यह लक्ष्य रखा गया है कि दस हजार हेक्टेयर की ऐसी भूमि पर सिर्फ मल शोधित जल प्रयोग किया जाए।
पावर प्लांट में चला जाता है पानी

यमुनानगर, खेदड़ा और डाइना पावर प्लांट जांडली में करीब 300 एमएलडी नहरी और ताजे पानी का प्रयोग होता है। इन तीनों प्लांट को अगले दो साल में मल शोधित पानी पर लाने का लक्ष्य है। 204 ट्रीटमेंट प्लांट में अभी 1800 एमएलडी पानी निकल रहा है, लेकिन प्रयोग में मात्र कुछ ही पानी आ रहा है। वह भी कृषि क्षेत्र में प्रयुक्त किया जाता है। बाकी पानी बेकार हो जाता है। वर्तमान में 143 ब्लाक में से 88 ब्लाक ऐसे हैं जहां पानी की निकासी ज्यादा और रीचार्ज कम है। जागरूकता के बाद 53 गांव ऐसे भी सामने आए हैं जहां पर पानी का स्तर गिरना रुका है।

इन विभागों को बजट की दरकार
कृषि, सिंचाई, वन, उद्योग, जनस्वास्थ्य, टाउन एंड कंट्री, एचएसआईआईडीसी, शहरी स्थानीय निकाय, पंचायती राज, शिक्षा, शुगरफेड, सहकारिता और मिकाडा(माइक्रो इरीगेशन एंड कमांड एरिय डवलपमेंट अथारिटी) समेत 14 विभागों को बजट की दरकार है। यह बजट जागरूकता, जल सरंक्षण व ट्रीटमेंट प्लांट इत्यादि में खर्च हो तो पानी की कमी कुछ हद तक पूरी हो जाएगी।