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पलवल: हरियाणा के पलवल के एक गांव में रहने वाली मजदूर की बेटी मई 2021 में लापता हो जाती है. कुछ दिन बाद इस 7 साल की मासूम का शव एक गड्ढे में मिलता है. मासूम के साथ रेप किया जाता है, फिर उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी जाती है. इस मामले में पुलिस मासूम के पड़ोस मे रहने वाले 22 साल के युवक को गिरफ्तार करती है. खबर मीडिया में छपती है और इसकी खूब चर्चा होती है.
आज इस घटना को दो साल हो गए, लेकिन अब तक मामले में ट्रायल रुका हुआ है, क्योंकि पलवल पुलिस ने अभी तक बच्ची के शव पर मिले ब्लड और आरोपी के डीएनए का मिलान नहीं कर पाई है. वजह, मधुबन (करनाल) में स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में DNA PCR किट का न होना. यह मामला तब सामने आया, जब स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट जज (पलवल) ने दो साल तक फॉरेंसिक रिपोर्ट न मिलने पर संज्ञान लिया. फास्ट ट्रैक कोर्ट पलवल में रेप-POCSO के वर्तमान में 53 मामले लंबित हैं, इनमें ट्रायल शुरू नहीं हो पाया है.
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FTC जज प्रशांत राणा ने 19 मई को आदेश पारित कर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के निदेशक से डीएनए टेस्ट रिपोर्ट में हो रही देरी के लिए स्पष्टीकरण मांगा था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ”अधिकारी ने कोर्ट में बताया है कि डीएनए पीसीआर किट न होने के चलते रिपोर्ट में 2 साल की देरी हुई. FSL करनाल में 30 डीएनए पीसीआर किट की जरूरत है, इसके लिए 1.5 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी.”
कोर्ट ने कहा, ”राज्य सरकार के पास राशि की कोई कमी नहीं है. फिर भी, किट नहीं खरीदे गए हैं और डीएनए पीसीआर किट की खरीद की प्रक्रिया में शामिल संबंधित अधिकारियों की ओर से निष्क्रियता की वजह से पूरे हरियाणा में महिलाओं और बाल पीड़ितों के खिलाफ जघन्य अपराधों के 1500 मामलों का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका है.” एफएसएल के अधिकारियों ने ही किट की आवश्यकता और लंबित मामलों की संख्या से संबंधित यह डेटा पेश किया.”
दरअसल, एक डीएनए पीसीआर किट की कीमत लगभग 5 लाख रुपये है. फॉरेंसिक जांच के लिए ये जरूरी होती है. इससे क्राइम सीन पर पाए गए ब्लड, वीर्य या अन्य छोटे से छोटे मानव नमूनों की जांच की जाती है. फास्ट ट्रैक कोर्ट जज (पलवल) ने एफएसएल करनाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह, और हरियाणा सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त को नोटिस भेजा है. इतना ही नहीं कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी है. इतना ही नहीं कोर्ट ने आवश्यक डीएनए पीसीआर किट की तत्काल खरीद के भी निर्देश जारी किए.
देश भर में यौन उत्पीड़न के मामले खासकर बच्चों के खिलाफ मामलों में जल्द सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की गई है. मार्च 2023 तक देश के 28 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में 415 POCSO कोर्ट समेत 773 फास्ट ट्रैक कोर्ट हैं.