शिमला: हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन रोकने के प्रयासों को तेज करते हुए राज्य सरकार ने एक कार्यबल का गठन किया है जो इस संबंध में विभिन्न विभागों द्वारा की गई कार्रवाई की समीक्षा करेगा। सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार वैज्ञानिक खनन के माध्यम से राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन साथ ही अवैध खनन को रोकने के लिए भी गंभीर है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न स्थानों पर ‘उड़न दस्ते’ तैनात किए गए हैं। वहीं खनन कर्मचारी बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध खनन की जांच के लिए औद्यौगिक समय में छापेमारी कर रहे हैं। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए खनन विभाग के अधिकारी अंतर्राज्यीय सीमाओं पर खनन माफिया द्वारा बनाई गई अवैध सड़कों को तोड़ रहे हैं।
निजी भूमि की पहचान करने की प्रक्रिया भी शुरू
विभाग ने बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ विकास प्राधिकरण क्षेत्र में स्थानीय लोगों द्वारा अवैध खनिजों की निकासी के लिए इस्तेमाल की जा रही निजी भूमि की पहचान करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। प्रवक्ता ने कहा कि राजस्व विभाग द्वारा इन जमीनों का सीमांकन पूरा होते ही अवैध खनन गतिविधियों में शामिल लोगों पर हिमाचल प्रदेश गौण खनिज नियम 2015 के तहत 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
डीलरों द्वारा उनकी बिक्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की
बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार ने जिले में गौण खनिजों के अवैध भंडारण और अनधिकृत डीलरों द्वारा उनकी बिक्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। ग्राम पंचायतों के प्रधानों को अवैध खनन के दुष्परिणामों एवं निजी भूमि एवं ग्राम सामान्य भूमि के लिए खनन पट्टा प्रदान करने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जा रहा है। रायल्टी की चोरी रोकने एवं सरलीकरण के लिये खनन के प्रपत्रों को एम-परिवहन पोर्टल से जोड़ा जायेगा। लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे संबंधित विभागों को भी इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा। बयान में कहा गया है कि इस पहल से अवैध खनन पर रोक लगेगी और राजस्व नुकसान पर अंकुश लगेगा।